शिमला : प्रदेश के स्कूलों में कार्यरत पी.टी.ए. अध्यापकों को निर्धारित अवधि से नियमित करने के मामले में प्रदेश प्रशासनिक प्राधिकरण ने राज्य सरकार को 2 माह के भीतर निर्णय लेने के आदेश जारी किए हैं। हालांकि प्रशासनिक प्राधिकरण ने अपने आदेशों में यह स्पष्ट किया है कि यह नियमितीकरण सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष लंबित पड़े मामलों के निर्णय पर निर्भर करेगा।
राज्य सरकार के लिए खुला छोड़ा विकल्प
नियमितीकरण के अलावा पी.टी.ए. मामले में सर्वोच्च न्यायालय से स्पष्टीकरण लेने का भी विकल्प राज्य सरकार को खुला छोड़ा है। प्रशासनिक ट्रिब्यूनल अध्यक्ष न्यायाधीश वी.के. शर्मा के समक्ष चल रही सुनवाई के दौरान कुछ पी.टी.ए. अध्यापकों की ओर से दायर याचिकाओं की सुनवाई के दौरान ये आदेश पारित किए है।
कई अध्यापक नहीं आ पाए हैं अनुबंध पर
प्रदेश में 5107 पी.टी.ए. शिक्षक अनुबंध के आधार पर नियुक्त हैं। जबकि 1400 पी.टी.ए. शिक्षक अभी अनुबंध पर भी नहीं आ पाए हैं। हालांकि, इन शिक्षकों को सरकार अनुबंध शिक्षकों के बराबर वेतन और अन्य सुविधाएं दे रही है। प्रशासनिक ट्रिब्यूनल में दायर याचिका में अनुबंध पी.टी.ए. शिक्षक संघ ने तर्क दिया है कि अस्थाई शिक्षकों को लेकर मुख्य याचिकाकर्ता पंकज कुमार ने सुप्रीम कोर्ट से अपना केस वापस ले लिया है। याचिकाकर्ता पंकज कुमार ने पी.टी.ए. अध्यापकों को अनुबंध पर लाने की नीति के खिलाफ साल 2013 मे सबसे पहले हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। याचिका में आरोप लगाया था कि प्रदेश में चहेतों को नौकरी दी गई, जबकि पात्र शिक्षक बाहर कर दिए गए। हाईकोर्ट की खंडपीठ ने एकल पीठ के निर्णय को रद्द करते हुए वर्ष 2014 में अस्थाई शिक्षकों के हक में फैसला सुनाया था।
संघ ने लगाई नियमित करने की गुहार
सरकार ने इसके बाद इनके लिए पॉलिसी तैयार कर दी थी। हाईकोर्ट के फैसले के बाद ही हजारों पी.टी.ए. शिक्षकों को अनुबंध पर लाया गया। इसी दौरान हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीमकोर्ट में चुनौती दी गई। साल 2015 में सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के आदेशों पर यथा स्थिति बनाये रखने के आदेश जारी किए थे। अब पंकज कुमार ने सुप्रीम कोर्ट से याचिका वापस ली है। जबकि राज्य सरकार के अनुसार इस से संबंधित कुछ मामले अभी भी सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष लंबित पड़े हैं। पंकज कुमार के मामले को आधार बनाकर पी.टी.ए. अनुबंध शिक्षक संघ ने ट्रिब्यूनल में शिक्षकों को नियमित करने की गुहार लगाई है