अमान्य डिप्लोमा के सहारे सरकारी स्कूलों में नौकरी पाने वाले 15 भाषा अध्यापक बर्खास्त कर दिए गए हैं। ये सारे एलटी 2006 में पीटीए के तहत भर्ती हुए थे और सरकार की पॉलिसी के तहत 2020 में इन्हें रेगुलर किया गया था। जांच में इनकी डिग्री फर्जी पाए जाने के बाद अब जाकर इन्हें बर्खास्त कर दिया गया है।
इसके साथ ही हिमाचल प्रदेश के स्कूलों में फर्जी डिप्लोमा और डिग्री के सहारे सेवाएं दे रहे सभी शिक्षकों के दस्तावेजों की जांच होगी। 15 भाषा अध्यापकों का मामला सामने आने के बाद शिक्षा विभाग ने सभी स्कूलों को इस बारे में आदेश जारी किए हैं। इसमें कहा गया है कि ऐसे शिक्षक जो पहले पीटीए पर थे और बाद में रेगुलर हुए उनकी डिग्री की जांच की जाए, ताकि पता लगाया जा सके कि प्रदेश में ऐसे कितने शिक्षक हैं। अभी फिलहाल जिला शिमला के स्कूलों में ऐसा मामला सामने आया है, लेकिन इसी तर्ज पर अन्य स्कूलों में भी जांच की जाएगी।
इसमें नौकरी से बर्खास्त किए गए 15 भाषा अध्यापकों में 12 चौपाल विधानसभा से हैं, जबकि एक अध्यापक मॉडल स्कूल कुपवी का भी शामिल है। जांच मे सरकार ने पाया की इनके पास डिप्लोमा नकली है। इन सभी की सेवाएं तुरंत प्रभाव से बर्खास्त की गई हैं।
उपनिदेशक शिमला से मिली जानकारी के मुताबिक स्कूलों में शिक्षकों की कमी को दूर करने के लिए साल 2006 में इन शिक्षकों की नियुक्ति हुई थी। उसके बाद सरकार की पॉलिसी के तहत 2020 में इन्हें रेगुलर किया गया। आरटीआई में हुए खुलासे में यह जानकारी निकलकर सामने आई कि इनका डिप्लोमा वैध नहीं है और तुरंत इन्हें नौकरी से निकाला गया है। इसके साथ ही शिक्षा विभाग ने सभी स्कूलों को भी सर्कुलर जारी कर दिया है।
दूसरी ओर शिक्षक संघों ने भी सवाल उठाए हैं कि नियुक्ति देते समय इन शिक्षकों के दस्तावेज क्यों चैक नहीं किए गए। शिक्षक महासंघ के प्रांत महामंत्री डा. मामराज पुंडीर ने सरकार और शिक्षा विभाग से मांग की है कि इस प्रकार की नियुक्तियों से अध्यापकों के मनोबल को तोड़ा गया है। 2006 से ये अध्यापक सरकारी विभाग में सेवाएं दे रहे हैं। डा. पुंडीर ने कहा कि जिन विद्यालयों में इनकी नियुक्ति हुई है, वहां का प्रशासन संदेह के घेरे में आता है।