दो वर्ष के अंतराल के उपरांत प्रकाशित हिमाचल की सुपरिचित साहित्यिक पत्रिका ‘इरावती’ का दसवां अंक हिमाचल के रचनाकारों पर केंद्रित है. यह जानकारी देते हुए ‘इरावती’ के संपादक राजेन्द्र राजन ने बताया कि नवीनतम अंक हिमाचल के ख्यातिप्राप्त कथाकार एवं कवि केशव की रचनाशीलता को समर्पित है. अंक में एक लम्बा साक्षात्कार, उपन्यास अंश कविता एंव उनकी पुस्तकों पर आलोचनात्मक लेख के माध्यम से केशव की सृजन यात्रा को समेटा गया है. इस अंक का अतिथि संपादन पत्रिका के प्रधान संपादक एवं वर्धा (महाराष्ट्र) में साहित्य विद्द्यापीठ के अध्यक्ष डा.. सूरज पालीवाल ने किया है.
शिमला: दो वर्ष के अंतराल के उपरांत प्रकाशित हिमाचल की सुपरिचित साहित्यिक पत्रिका ‘इरावती’ का दसवां अंक हिमाचल के रचनाकारों पर केंद्रित है. यह जानकारी देते हुए ‘इरावती’ के संपादक राजेन्द्र राजन ने बताया कि नवीनतम अंक हिमाचल के ख्यातिप्राप्त कथाकार एवं कवि केशव की रचनाशीलता को समर्पित है. अंक में एक लम्बा साक्षात्कार, उपन्यास अंश कविता एंव उनकी पुस्तकों पर आलोचनात्मक लेख के माध्यम से केशव की सृजन यात्रा को समेटा गया है. इस अंक का अतिथि संपादन पत्रिका के प्रधान संपादक एवं वर्धा (महाराष्ट्र) में साहित्य विद्द्यापीठ के अध्यक्ष डा.. सूरज पालीवाल ने किया है.
अंक में राजकुमार राकेश, बद्री सिंह भाटिया, तारा नेगी, मुरारी शर्मा, सुदर्शन वशिष्ठ , प्रिया आनन्द, सुरेश शांडिल्य के अलावा कुल 13 कथाकारों की कहानियां संकलित हैं. कविताओं में राजकुमार कुम्भज, सरोज परमार, गुरमीत बेदी, अजेय, ओमनागर, गीता डोगरा, उर्मिला खरपूसे, अन्जुम खान तथा भुपिन्द्र कौर प्रीत की रचनाएं शामिल हैं.
ज्ञानपीठ पुरस्कार प्राप्त एवं ‘उमराव जान’ फिल्म की गज़लों के रचयिता ‘शहरयार’ से खास बातचीत, ज्ञानपीठ पुरस्कार के प्रणेता लक्ष्मी चन्द्र जैन, कथाकार रमेश बतरा के संस्मरण व जया जादवानी का महत्वपूर्ण लेख भी इस अंक की बड़ी उपलब्धि हैं. सूरज पालीवाल ने अपने संपादकीय ‘अपनी बात’ में सामायिक मुद्दों के प्रति लेखकों की उदासीनता को सशक्त ढंग से रेखांकति किया है. उनके अनुसार देश के ज्वलंत मुद्दों के प्रति लेखक समाज की चुप्पी चिंतनीय है.