भाई बहन के पावन प्रेम के प्रतीक रक्षा बंधन का त्यौहार प्राचीन काल से चला आ रहा है. हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी रक्षा बंधन के त्यौहार का ईन्तजार हर किसी को है. इस वर्ष भी यह त्यौहार 29 अगस्त को पूरे देश में बड़ी ही धूमधाम से मनाया जा रहा है.राखी परम्परा ही नहीं, बहन का प्यार व भाई से रक्षा के वचन का पर्व है. ईन्द्र की पत्नी ने ईन्द्र को ही राखी बाँधी थी. यम को उनकी बहन यमुना ने राखी बाँधी थी. लक्ष्मी जी ने राजा बलि को राखी बाँधी थी .
द्रौंपदी ने श्रीकृष्ण के हाथ में चोट लगने पर साड़ी का पल्लू बांधा था और इस पर्व पर वचन लिया. चीरहरण के समय भगवान श्रीकृष्ण ने द्रौंपदी की रक्षा की. चितौड़ की महारानी कर्मावती ने हुमायूँ को चांदी की राखी भेजी थी. सिकन्दर को राजा पुरु की पत्नी ने राखी बाँधी थी.
राखी बहन की रक्षा का वचन होता है कि जब -जब बहन पर संकट के बादल हों तब -तब भाई उसकी रक्षा करे. ज्योतिष के अनुसार अगर अपने भाई की राशिनुसार राखी खरीदी जाए तो वह सूत्र भाई के लिए कल्याणकारी सिद्ध होता है.
ज्योतिष के अनुसार, इस साल रक्षाबंधन पर भद्रा का साया रहेगा. इसलिए बहनों को भाइयों की कलाई पर राखी बांधने के लिए दोपहर तक इंतजार करना पड़ेगा. यह संयोग ही है कि 2013, 2014 और अब 2015 में लगातार तीसरे वर्ष भी रक्षाबंधन पर भद्रा की साया है.
दोपहर 1:40 तक भद्रा की वजह से दोपहर बाद ही भाइयों की कलाईयां सजेगी. भद्रा पर शुभ कार्य नहीं किए जाते. भद्रा में यात्रा, विवाह, मुंडन, गृह प्रवेश, रक्षाबंधन जैसे मांगलिक कार्य नहीं हो सकते, क्योंकि भद्रा का संबंध सूर्य और शनि से है.
ज्योतिषाचार्य का कहना है कि 28 अगस्त को रात 3.35 बजे से भद्रा लग रहा है, जो रक्षाबंधन पर्व यानी 29 अगस्त को दोपहर 1.50 बजे तक रहेगा.
उन्होंने बताया कि भद्रा में रक्षासूत्र बांधना शास्त्र सम्मत नहीं है, इसके बाद से रात तक शुभ मुहूर्त है. दोपहर 1.51 से 4.15 बजे तक रक्षासूत्र बांधने का श्रेष्ठ मुहूर्त है. रक्षाबंधन पूर्णिमा को मनाया जाता है. 29 अगस्त की रात 12.04 बजे तक पूर्णिमा है.