माँ मनसा देवी का यह पवित्र मंदिर हरियाणा राज्य के पंचकूला में स्थित है. यह मंदिर शिवालक पहाड़ियों में मनीमाजरा और पंचकूला के गाँव बिलासपुर में स्थित है. यहाँ मनसा देवी के दो मंदिर स्थित हैं जो लगभग चंडीगढ़ शहर से बाहर हैं. मुख्य मनसा देवी मंदिर का निर्माण उस समय के मनीमाजरा के राजा महाराजा गोपाल सिंह ने {1811-1815} के बीच बनाया. मुख्य मंदिर से 200 मीटर की दूरी पर देवी का दूसरा मंदिर पटियाला के महाराजा ने 1840 में बनाया.
श्री मनसा देवी के बारे में वैसे तो बहुत सी कथाएं प्रचलित हैं परन्तु निम्नलिखित कथा प्रमाणिक मानी जाती हैं.
मुग़ल सम्राट अकबर के समय की बात हैं कि चंडीगढ़ के पास मनीमाजरा नामक स्थान है. यह जागीर एक राजपूत जागीरदार के अधीन थी. सम्राट किसानों से लगान के रूप में अन्न वसूल करवाता था. एक बार प्राकृतिक प्रकोप वश फसल बहुत कम हुई जिससे जागीरदार अन्न वसूली करने में असमर्थ रहे.
इसलिए उन्होंने अकबर से लगान माफ़ करने की प्रार्थना की. यद्यपि बादशाह अकबर काफी अच्छा शासक था लेकिन उसने जागीरदारों की कोई बात नहीं मानी व क्रोधित होकर उन सब जागीरदारों को जेल में डालने का हुक्म दे दिया. इस बात की खबर पूरे गाँव में फ़ैल गई. माँ का भक्त गरीबदास यह सुनकर बहुत दुखी हुआ. उसने दुर्गा माँ से कष्ट और जागीरदारों को मुक्ति दिलाने की प्रार्थना की.
भक्त की प्रार्थना से प्रसन्न हो माता बोली तू जो चाहता हैं वैसा ही आशीर्वाद देती हूँ. गरीबदास माँ के चरणों में गिर गया और बोला – माता तेरा खेल निराला है. तू सर्व शक्तिमान है. आप अपने भक्तों की सदा रक्षा करती हैं. माँ की महिमा उन सब जागीरदारों को भी मालूम हो गई और सब जागीरदार प्रसन्नचित होकर अपने -अपने घरों को लौट गए. सबने मिलकर वहाँ एक मंदिर बनवा दिया जो कि मनसा देवी अर्थात इच्छा पूर्ण करने वाली देवी के नाम से विख्यात हो गया.
मनसा देवी के नाम से एक मंदिर हरिद्वार में शिवालिक पर्वत की चोटी पर स्थित हैं. इसकी गणना शक्ति पीठों में तो नहीं हैं लेकिन वर्तमान में इसकी मान्यता भी बहुत बढ़ रही हैं. हरिद्वार जाने वाले यात्री अवश्य ही इनके दर्शन करते हैं और अपनी मनोकामना की सिद्धि के लिए पास ही के एक वृक्ष पर औली बांधते हैं.
आज भी यहाँ स्थानीय और बाहरी श्रद्धालु माँ का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए यहाँ आते हैं. नवरात्रों के दिनों में यहाँ नौ दिनों तक मेलों का आयोजन भी किया जाता है जहाँ लाखों श्रद्धालु अपना शीश नवाते हैं तथा अपनी मनोकामना पूर्ण करते हैं.
यह मंदिर चंडीगढ़ बस स्टैंड से 10 किलोमीटर तथा पंचकूला बस स्टैंड से 4 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है