शिमला :बर्फबारी न होने के चलते हिमाचल प्रदेश में पर्यटन सीजन फीका पड़ गया है। प्रदेश के मुख्य पर्यटन स्थलों के होटलों में ऑक्यूपैंसी में भारी गिरावट दर्ज की गई है। बर्फबारी और बारिश के न होने से प्रदेश के किसान और बागवान भी खासे चिंतित हैं. अगर जल्द ही बारिश न हुई तो फसलों के लिए संकट पैदा हो जायेगा.
पर्यटकों की आवाजाही हुई कम
शिमला सहित प्रदेश के अन्य मुख्य पर्यटन स्थलों में इन दिनों पर्यटकों की आवाजाही में कमी आई है। इस वजह से पर्यटन व्यवसाय से जुड़े लोग चिंतित हैं। जनवरी माह में अभी तक बर्फबारी न होने की वजह से पर्यटन उद्योग पर मार पड़ी है। पर्यटन व्यवसाय से जुड़े लोगों को हिमाचल में बर्फबारी का इंतजार है। बर्फबारी होने पर ही विंटर सीजन के दौरान हिमाचल में पर्यटन व्यवसाय पटरी पर आएगा।
आक्युपैंसी दिनों दिन हुई कम
बताया जाता है कि पिछले साल क्रिसमस व नववर्ष की पूर्व संध्या पर बड़ी संख्या में पर्यटकों ने हिमाचल की ओर रुख किया था और प्रदेश के विभिन्न स्थलों पर ऑक्यूपैंसी 90 से 100 प्रतिशत के आसपास रही थी। लेकिन नववर्ष के आगाज के साथ ही हिमाचल में ऑक्यूपैंसी दिनों-दिन कम होती गई। वर्तमान में शिमला में ऑक्यूपैंसी 50 प्रतिशत के आसपास रह रही है जोकि पिछले वर्षों की तुलना में बेहद कम है। आम तौर पर हर वर्ष जनवरी माह में काफी संख्या में पर्यटक शिमला व आसपास की ओर रुख करते हैं लेकिन इस बार अभी तक पर्यटन सीजन ने रफ्तार नहीं पकड़ी है।
22 जनवरी तक मौसम रहेगा साफ़
मौसम विभाग से प्राप्त जानकारी के अनुसार आगामी 22 जनवरी तक हिमाचल के अधिकांश क्षेत्रों में अच्छी धूप खिली रहेगी और यहां बर्फबारी की संभावना एक सप्ताह तक बिल्कुल नहीं है। शिमला में भी 22 जनवरी तक मौसम साफ रहने की संभावना है। इन दिनों यहां धूप खिली रहने के चलते तापमान में भी वृद्धि दर्ज हुई है। हालांकि सुबह व शाम के समय अभी भी मौसम ठंडा है।
पर्यटक कर रहे बर्फबारी का इंतज़ार
पर्यटन विशेषज्ञों की मानें तो अन्य राज्यों से हिमाचल की ओर रुख करने वाले पर्यटक बर्फबारी का इंतजार कर रहे हैं। वह न होने की वजह से उनके कदम रुके हुए हैं। उनका यह भी मानना है कि बर्फबारी होने पर हिमाचल में पर्यटन व्यवसाय पटरी पर लौटेगा।
फसलों को पैदा हुआ खतरा
बर्फबारी और बारिश के न होने से प्रदेश के किसान और बागवान भी चिंतित हैं. अगर जल्द ही बर्फबारी और बारिश न हुई तो फसलों के लिए खतरा पैदा हो जाएगा और सूखे की चपेट में फसलें आ जाएँगी.