हिमाचल प्रदेश में मॉनसून का कहर लगातार जारी है। प्रदेश के कई जिलों में भारी बारिश, बादल फटने और भूस्खलन की घटनाओं से जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है।
मौसम विभाग ने आज (गुरुवार, 14 अगस्त) चम्बा, कांगड़ा और मंडी जिलों के लिए भारी बारिश का ‘ऑरेंज अलर्ट’ जारी किया है। इसके साथ ही, 15 से 20 अगस्त तक कई इलाकों के लिए ‘येलो अलर्ट’ भी जारी किया गया है, और लोगों को विशेष सावधानी बरतने की सलाह दी गई है।
बीती रात हुई मूसलाधार बारिश और बादल फटने से शिमला, कुल्लू, किन्नौर और लाहौल-स्पीति जैसे जिलों में भारी तबाही मची है।
बाढ़ और भूस्खलन के कारण पुल, घर, दुकानें और वाहन बह गए। कई गांवों को एहतियातन खाली करवाया गया है। इस आपदा के मद्देनजर, ऊना जिले के सभी शिक्षण संस्थान आज बंद किए गए हैं।
कुल्लू के बंजार, मंडी के गोहर और शिमला के जुब्बल उपमंडल में भी स्कूलों में छुट्टी घोषित की गई है।
सबसे ज्यादा नुकसान शिमला और कुल्लू जिलों में हुआ है। शिमला के रामपुर उपमंडल के पंद्रह-बीस क्षेत्र में बादल फटने से आई बाढ़ ने चार पुलों, दो घरों, पांच दुकानों, सात शेडों और कई सेब के बगीचों को बहा दिया।
गानवी क्षेत्र में एक एंबुलेंस और एचआरटीसी की बस फंस गई, जिससे तीन पंचायतों का संपर्क कट गया। कोटखाई क्षेत्र में भूस्खलन से नेशनल हाईवे-5 कई जगहों पर अवरुद्ध हो गया और पांच से सात गाड़ियां मलबे में दब गईं।
कुल्लू जिले की बंजार घाटी में बठाहड़ क्षेत्र में बादल फटने से कई घर क्षतिग्रस्त हो गए, पुल टूट गए और पांच गाड़ियां बह गईं। तीर्थन घाटी और निरमंड उपमंडल में भी स्थिति गंभीर है।
निरमंड में कुरपन खड्ड उफान पर होने के कारण बागीपुल बाजार को खाली करवाना पड़ा। तीर्थन घाटी के गांवों से भी लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया है।
जनजातीय क्षेत्रों में भी स्थिति गंभीर है। किन्नौर जिले की ऋषि डोगरी घाटी और लाहौल-स्पीति की मयाड़ घाटी में बादल फटने से सार्वजनिक संपत्ति को भारी नुकसान पहुंचा है।
लाहौल-स्पीति के करपट गांव से लगभग दो दर्जन परिवारों को सुरक्षित स्थानों पर स्थानांतरित किया गया है। स्थानीय प्रशासन और आपदा प्रबंधन की टीमें प्रभावित क्षेत्रों में राहत और बचाव कार्यों में जुटी हुई हैं। लोगों से नदियों और नालों से दूर रहने की अपील की गई है।
उधर जोगिन्दरनगर क्षेत्र में भी वीरवार को दिन भर रुक -रुक कर बारिश होती रही जबकि शाम के समय मूसलाधार बारिश से क्षेत्र के नदी नाले उफान पर हैं व बारिश का क्रम ज़ारी है।