जोगिन्दरनगर : मंडी लोकसभा के सांसद रामस्वरूप शर्मा के प्रयासों से रेलवे स्टेशन जोगिन्दरनगर में नब्बे साल पुरानी व्यवस्था में बड़ा बदलाव होने जा रहा है. अब रेल का इंजन रेलवे स्टेशन में ही बदलकर बोगियों से अटैच किया जायेगा. पहले जोगिन्दरनगर सरकाघाट मार्ग पर रेलवे फाटक पर यह इंजन बदला जाता था जिससे यातायात जाम की स्थिति बनी रहती थी.यह रेलवे ट्रैक पंजाब सरकार के तत्कालीन इंजीनियर कर्नल बैटी ने शानन विद्युत् पं बिजली परियोजना के निर्माण के लिए पठानकोट से जोगिन्दरनगर तक रेलवे ट्रैक बिछाया था.इस पटरी पर रेल सेवा 1929 में रेल सेवा शुरू हुई, आज दिन तक इस रेललाइन के विस्तार के लिए केंद्र सरकारों ने कोई रूचि नहीं दिखाई.पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल ने इस रेल मार्ग की सामरिक दृष्टि से अहमियत बताते हुए केंद्र सरकार से जोरदार मांग उठाई थी कि ब्राडगेज विस्तार कर इसे लेह तक पहुँचाया जाए.यह कवायद सिरे नहीं चढ़ पाई है. जोगिन्दरनगर पठानकोट रेल मार्ग हमेशा ही नजर अंदाज़ होता रहा है.
रेलवे स्टेशन में हो रहा बदलाव
यातायात जाम की स्थिति में रेलवे कर्मचारियों को जहाँ दिक्कत होती थी वहीँ अब रेलवे स्टेशन में बदलाव होने शुरू हो गये हैं. यहाँ रेल पटरी को उखाड़कर नए सिरे से बिछाया जा रहा है. जोगिन्दरनगर सरकाघाट मार्ग पर बना रेलवे फाटक हटा लिया जायेगा और जाम की समस्या से निजात मिलेगी.
1920 के दशक में बिछा था ट्रैक
यह रेलवे ट्रैक पंजाब सरकार के तत्कालीन इंजीनियर कर्नल बैटी ने शानन विद्युत् पं बिजली परियोजना के निर्माण के लिए पठानकोट से जोगिन्दरनगर तक रेलवे ट्रैक बिछाया था. उसके बाद जोगिन्दरनगर के पास स्थित शानन पावर हाउस से ऊपर पहाड़ी तक होलेज ट्रॉली सिस्टम स्थापित किया गया. रेलवे के जरिए भारी मशीनरी बरोट तक पहुंचाई गई और बिजली तैयार की गई.
1929 में शुरू हुई रेल सेवा
इस पटरी पर रेल सेवा 1929 में रेल सेवा शुरू हुई, आज दिन तक इस रेललाइन के विस्तार के लिए केंद्र सरकारों ने कोई रूचि नहीं दिखाई.
ब्राडगेज की कवायद थमी
पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल ने इस रेल मार्ग की सामरिक दृष्टि से अहमियत बताते हुए केंद्र सरकार से जोरदार मांग उठाई थी कि ब्राडगेज विस्तार कर इसे लेह तक पहुँचाया जाए.यह कवायद सिरे नहीं चढ़ पाई है. जोगिन्दरनगर पठानकोट रेल मार्ग हमेशा ही नजर अंदाज़ होता रहा है.