हिमाचल में आउटसोर्स आधार पर होने जा रही प्री नर्सरी टीचर भर्ती के डिप्लोमा में मिली गड़बड़ के कारण दूसरे चरण की भर्ती प्रक्रिया रुक गई है।
भर्ती एजेंसी स्टेट इलेक्ट्रॉनिक्स डेवलपमेंट कॉरपोरेशन ने सारे डॉक्यूमेंट शिक्षा विभाग को भेज दिए हैं और इनकी वेरिफिकेशन करने को कहा है।
ये वेरिफिकेशन नेशनल कौंसिल ऑफ़ टीचर एजुकेशन से भी करनी होगी, जिसमें समय लगेगा। भर्ती एजेंसी का कहना है कि बहुत से डिप्लोमा ऐसे मिले हैं, जिसमें एक साल किसी और संस्थान से और दूसरे साल किसी और संस्थान से पढ़ाई की गई है। दोनों ही वर्षों के इस डिप्लोमा के बीच में गैप भी है।
कई मामले ऐसे भी हैं, जहां दोनों साल अलग-अलग संस्थाओं से किए हैं।
राज्य सरकार द्वारा 2 साल डिप्लोमा की शर्त लगाने के बाद संभव है कि इस तरह के डिप्लोमा इकट्ठे किए गए हों। इसमें गड़बड़ी की आशंका को देखते हुए इलेक्ट्रॉनिक्स डेवलपमेंट कॉरपोरेशन ने अब दूसरे चरण की भर्ती रोक दी है।
प्री नर्सरी टीचर भर्ती के कुल 6000 से ज्यादा पदों पर भर्ती होनी थी। पहले चरण में सिर्फ 3000 पदों को ही विज्ञापित किया गया था। दूसरे चरण में भी 3000 के आसपास पद विज्ञापित किए जाने हैं।
भर्ती एजेंसी का तर्क है कि पहले चरण में सामने आई गड़बडिय़ों को दूर किए बगैर अगला चरण शुरू नहीं करेंगे, नहीं तो उतना ही समय वेरिफिकेशन में दोबारा लगेगा।
प्री नर्सरी के बच्चों को सरकारी स्कूलों में पढ़ाने और उनकी देखभाल के लिए ये नियुक्तियां समग्र शिक्षा के माध्यम से की जा रही हैं।
30 और कंपनियां इंपैनल की एसईडीसी ने
आउटसोर्स भर्ती के लिए स्टेट इलेक्ट्रॉनिक्स डेवलपमेंट कॉरपोरेशन के पास 35 कंपनियां पहले से थी। अब दूसरे चरण से पहले इच्छुक आवेदकों को समय दिया गया था। इसके बाद 30 और कंपनियों को इंपैनल किया गया है।
दूसरे चरण में इन्हें आउटसोर्स भर्ती का काम दिया जाएगा। लेकिन इससे पहले शिक्षा विभाग को वेरिफिकेशन की प्रक्रिया पूरी करनी है।