शिक्षा विभाग में होने वाली जिला उपनिदेशक सहित प्रधानाचार्य प्रमोशन पर रोक लग गई है। ऐसे में पात्र शिक्षकों को इसके लिए और इंतजार करना पड़ेगा।
जानकारी के अनुसार मामला शिक्षकों की ज्वाइंट सीनियोरिटी का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा है। मामले पर हाई कोर्ट से फैसला आने के बाद शिक्षकों ने इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है, जिसके बाद सरकार ने इसमें रोक लगा दी है।
सरकार अब इसमें अंतिम फैसले का इंतजार करेगी, इसके बाद ही प्रमोशन प्रक्रिया को शुरू किया जाएगा। बताया जा रहा है कि इस प्रमोशन के लिए दो कॉडर यानि हैडमास्टर से प्रधानाचार्य और प्रवक्ता से प्रधानाचार्य पात्र हैं।
यह कोटा 60:40 का रहता है, लेकिन प्रवक्ता इस कोटे को बढ़ाने की मांग कर रहे हैं। बताया जा रहा है कि सुप्रीम कोर्ट में मामले की सुनवाई 2 दिसम्बर तक होनी है।
ऐसे में सरकार अब सुप्रीम कोर्ट के फैसले का इंतजार करेगी, उसके बाद ही जिला उपनिदेशकों के पदों पर प्रमोशन प्रक्रिया होगी।
आपको बता दें तो जिला उपनिदेशकों के 40 से अधिक पदों को प्रमोशन के आधार पर भरा जाना है। अधिकतर जिलों में उपनिदेशकों के पद खाली चल रहे हैं।
शिक्षा विभाग ने कई जिलों में वर्ष 2016 के बाद बने प्रधानाचार्य को उपनिदेशक के पदों का कार्यभार सौंपा है। उपनिदेशक की प्रमोशन में रोक के बाद अब प्रधानाचार्य प्रमोशन भी रुक गई है।
टीजीटी और प्रवक्ता प्रमोशन को भी लगेगा समय
विभाग में अन्य वर्गों के शिक्षकों को भी अभी प्रमोशन के लिए इंतजार करना पड़ेगा। सरकार के आदेशों के बावजूद भी निदेशालय में जिला से टीजीटी की एससीआर नहीं पहुंची है।
एक हजार से ज्यादा पदों पर टीजीटी से प्रवक्ता के पदों पर प्रमोशन होनी है। इस दौरान टीजीटी की वरिष्ठता सूची भी संशोधित होनी है।