पठानकोट-मंडी फोरलेन के अधूरे प्रोजेक्ट्स से लोग परेशान

हिमाचल प्रदेश के कई स्थानों पर फोरलेन के आधे-अधूरे प्रोजेक्टों ने जनजीवन और विकास को पूरी तरह ठप्प कर दिया है। पठानकोट-मंडी, मटौर-शिमला एनएच पर कई गांव-शहर परेशान हैं, क्योंकि कोई पता नहीं फोरलेन का पंजा कब उनके घर, जमीन और जायदाद को उजाड़ दे।

विकास हुआ ठप्प

पठानकोट-मंडी फोरलेन प्रोजेक्ट की आधी अधूरी डीपीआर ने राजोंल से ठानपुरी और परौर से पद्धर तक के सभी क्षेत्रों के विकास को ठप कर दिया है। केंद्र वैसे तो त्वरित विकास का हर क्षण दावा कर रहा है, पर यह फोरलेन प्रोजेक्ट उसके दावों की बुरी तरह हवा निकल रहा है। इस प्रोजेक्ट का भू-अधिग्रहण 2021 और अगले वर्ष 2022 में काम शुरू हुआ, पर सच्चाई यह है कि आधी डीपीआर के साथ काम शुरू कर दिया गया।

यहाँ डीपीआर ही नहीं बनी

परौर से पद्धर और राजोल से ठानपुरी तक की तो अभी डीपीआर ही नहीं बनी है। वहीं, कांगड़ा हवाई अड्डे के पास राजोल से ठानपुरी तक प्रस्तावित फोरलेन का निर्माण किस दिशा से होगा, इसकी स्थिति अब तक स्पष्ट नहीं हो पाई है।

भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) द्वारा अभी तक सर्वे के लिए कंसल्टेंसी कंपनी का चयन नहीं किया जाना इस देरी की एक वजह मानी जा रही है। जानकारों की मानें तो कंपनी के चयन के बाद ही जमीन का सर्वे होगा और रूट की लंबाई व निर्माण लागत का विस्तृत खाका तैयार किया जाएगा।

फोरलेन रूट को लेकर दो प्रस्तावों पर चर्चा

फोरलेन रूट को लेकर क्षेत्र में दो तरह की चर्चाएं जोरों पर हैं। पहले प्रस्ताव के अनुसार फोरलेन को धर्मशाला की तरफ से निकालने की योजना है, जिसमें राजोल और बीएसएफ सेंटर के साथ भड़ौत बल्ला, कियोडिय़ां, सलांगड़ी, चैतडू, पटौला और अनसोली जैसे क्षेत्र शामिल हैं।

यह मार्ग मटौर कॉलेज के नए भवन के पास से होते हुए कछियारी में मटौर-शिमला फोरलेन से जुड़ सकता है। वहीं, दूसरी ओर पिछले कुछ महीनों से एक नया विकल्प भी चर्चा में आया है। इसके तहत फोरलेन को एयरपोर्ट के निचले हिस्से यानी बैदी की तरफ से बनाने की संभावना जताई जा रही है।

सता रही भविष्य की चिंता

फोरलेन ने एयरपोर्ट विस्तार की जद में आए ग्रामीणों की नींद उड़ा दी है। प्रभावित परिवारों को डर है कि कहीं वे अपनी बची हुई जमीन पर घर बनाना शुरू करें और बाद में वह जमीन भी फोरलेन की जद में न आ जाए।

इसके चलते सनौरा से लेकर पुराना मटौर तक के लोग अपने घरों के निर्माण शुरू नहीं कर पा रहे हैं। उनकी मांग है कि जल्द फोरलेन की स्थिति साफ हो, ताकि उन्हें दोबारा विस्थापन का दंश न झेलना पड़े।