हिमाचल प्रदेश में इस साल दिसंबर महीने में ही पंचायती राज संस्थाओं के चुनाव करवा दिए जाएंगे। राज्य चुनाव आयोग ने इस संबंध में सरकार को सूचना दे दी है और अधिकारियों को तैयार रहने को कहा है।
राज्य के मुख्य चुनाव आयुक्त अनिल खाची ने इस संबंध में प्रदेश सरकार के अधिकारियों की बैठक ली और क्या-क्या जरूरी इंतजाम इस चुनाव की दृष्टि से करने हैं, इसके संबंध में बता दिया गया है।
31 मार्च तक ही नई पंचायतों का गठन किया जा सकेगा, जिसके बाद सीमाओं को सील कर दिया जाएगा। 30 जून तक सभी वार्ड बनाने के निर्देश दिए गए हंै, जिसके बाद पंचायतों के ढांचे से किसी भी प्रकार से छेड़छाड़ नहीं हो सकेगी। इसके साथ ही चुनावी प्रक्रिया का काम शुरू हो जाएगा।
सूत्रों के अनुसार मंगलवार को इस संबंध में मुख्य चुनाव आयुक्त अनिल खाची ने संबंधित अधिकारियों के साथ बैठक की और उस बैठक में पूरी कार्ययोजना पर चर्चा की गई। चंूकि सरकार को चुनावों के संबंध में जानकारी देना जरूरी था और सरकार से इस पर राय भी ली गई है।
ऐसे में माना जा रहा है कि सरकार भी दिसंबर महीने में पंचायतों के चुनाव के लिए तैयार है। दिसंबर महीने में ज्यादा बर्फबारी नहीं होती और मार्ग भी खुले रहते हैं, जबकि जनवरी व फरवरी महीने में मुश्किलें पेश आती हैं।
इसलिए दिसंबर का महीना इसके लिए चुना गया है। राज्य चुनाव आयुक्त ने प्रधान सचिव शहरी विकास विभाग देवेश कुमार व सचिव पंचायती राज एवं ग्रामीण विकास विभाग राजेश शर्मा के साथ इस संबंध में बैठक की थी।
बता दें कि कई पंचायतें तोडक़र शहरी निकायों में शामिल की गई हैं। ऐसे में प्रदेश में 43 पंचायतें खत्म हो गई हैं। पहले पंचायतों की संख्या 3615 थी, जिसमें से 43 पंचायतें कम हो गई हैं।
नई पंचायतों के गठन पर आज कैबिनेट में होगी चर्चा
ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज विभाग ने नई पंचायतों के लिए प्रस्ताव मांगे थे। विभाग के पास पूरे प्रदेश से लगभग 600 आवेदन आ चुके हैं और अभी आवेदन आने का सिलसिला चल रहा है।
सरकार को यह तय करना है कि उसे नई पंचायतें बनानी हैं या फिर नहीं, क्योंकि नई पंचायतों के गठन में पैसा भी लगता है और इस पर भारी भरकम खर्च होता है। ऐसे में सरकार शायद ही यह कदम उठाए, मगर उसके पास आवेदनों की झड़ी लग गई है। कुछ आवेदन ग्राम सभा की मंजूरी से आए हैं, तो कुछ सीधे ही भेजे गए हैं।
विभाग के अनुसार जो आवेदन आए हैं, उनमें ज्यादातर नियमों पर खरे नहीं उतर रहे हैं। नई पंचायतें बनने के बाद यहां पर वोटरों की संख्या 500 से 800 ही बन रही है।
गुरुवार को होने वाली राज्य मंत्रिमंडल की बैठक में इस पर अनौपचारिक चर्चा की जाएगी। कैबिनेट में इन पर चर्चा होगी, ताकि सरकार नई पंचायतों के गठन के मापदंड तय कर सके। अब देखना होगा कि सरकार नई पंचायतों के गठन को लेकर कोई निर्णय लेती है या फिर नहीं।