समग्र शिक्षा विभाग और राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान के तहत प्रदेश के स्कूलों में बच्चों को मिलने वाले मिड डे मील की फंडिग का तरीका बदलेगा। समग्र शिक्षा विभाग ने इसकी तैयारी कर ली है। प्रदेश के 13 हजार स्कूलों में पढ़ाई करने वाले करीब साढ़े पांच लाख छात्रों के लिए फंडिग के तरीके में बदलाव किया जाएगा।
इसमें अब राज्य सरकार एकीकृत वित्तीय एवं प्रबंधन सूचना पद्धति जीआइएफएमआइएस स्कीम के तहत मिड डे मील बजट प्रबंधन कार्य किया जाएगा । यह बजट पीएफएमएस यानि पब्लिक फाईनेन्स मैनेजमेंट सिस्टम के तहत सबंधित एजेंसी को एक विशेष कोड के तहत मिलेगा। किस मद में कितना आय-व्यय हो रहा है इसका स्पष्ट पता चल जाएगा।
यही नहीं इसके तहत सिंगल नोडल एजेंसी का शून्य शेष खाता खोला जाएगा। निदेशालय ने इस बारे में सीसीएस मिड डे मील खाता खोल दिया है। अब जिला प्रारंभिक शिक्षा उप-निदेशक, खंड प्रारंभिक शिक्षा अधिकारी और मिड डे मील योजना के तहत आने वाले स्कूलों को शून्य शेष वाले खाते खोलने होंगे या मौजूदा खाते शून्य शेष वाले होंगे।
गौर रहे कि राज्य के सरकारी स्कूलों में पहली से आठवीं तक के साढ़े पांच लाख छात्र मिड डे मील योजना के तहत आते हैं। शिक्षण संस्थान बंद होने के कारण छात्र घर बैठकर आनलाइन माध्यम से पढ़ाई कर रहे हैं। शिक्षा विभाग ऐसे में छात्रों को घर पर मिड डे मील पहुंचा रहा है। स्कूल से शिक्षकों की ड्यूटी इसे बच्चों तक पहुंचाने की लगाई गई है। बच्चों के स्वजन को रोटेशन के हिसाब से स्कूल बुलाकर उनके माध्यम से भी राशन घर तक पहुंचाने की व्यवस्था की जाती है।