औषधीय गुणों से भरपूर कचनार की बाजार में दस्तक

इस भागदौड़ भरे व्यस्त जीवन में किसी भी व्यक्ति के पास कुदरती तौर पर सदियों से उपलब्ध होने वाली विभिन्न प्रकार की औषधियों व पदार्थो को हासिल करते हुए प्रयोग करने का समय नहीं है। लेकिन हर वर्ष मौसम के अनुसार कुदरत इन्सान के लिए समय-समय पर कई प्रकार के पदार्थों को घर आंगन में ही उपलब्ध करवाती है।

इन दिनों कुछ ऐसी ही औषधीय गुणों से भरपूर कचनार(कराले)की कलियां पेड़ पर कुदरती रूप से लगी कराले की कलियां लोगों के लिए कुदरती वरदान के रूप में निशुल्क उपलब्ध है।

इन दिनों बाजार में कचनार(कराले)की कलियों 200 से लेकर 300 रुपए के दाम पर बहुत सीमित रूप से उपलब्ध होती है।कराले के पेड़ पर सफेद, गुलाबी और बैंगनी रंग में फूल खिलते है।

बुजुर्ग लोग जो इस गुणों से भरपूर औषधीय कराले के बारे में जानते है, वे इन दिनों कराले के पेड़ से जमकर कलियों को तोडक़र विशेष रूप से एक ओर लाजवाब स्वादयुक्त सब्जी का आनंद उठा रहे है।

जिसके बाद पेड़ पर अगले बसंत में ही कलियां लगती है। कचनार के पेड़ पर लगने वाली कलियां ही मात्र विभिन्न प्रकार के व्यंजन बनाने में प्रयोग होती है और फूल मात्र सजावट हेतु होते है।

इसलिए लोगों द्वारा मात्र कलियों को कचनार के पेड़ से उतारकर उनसे लजीज व्यंजन तैयार करते हुए आनंद उठाया जा रहा है। इसकी कलियों से विशेष रूप से रायता बनाया जाता है, जो पेट विकारों को दूर करते हुए पाचन क्रिया को दुरुत्त करता है।

आयुर्वेद की माने तो कचनार(कराले) में कुदरती रूप से औषधीय गुणों का भंडार है। कचनार की कलियों के साथ-साथ पेड़ की छाल, पत्तों और फूलों में भी एंटी बैक्टीरियल संक्रमण, कुष्ठ, आंतो की कीड़ो, पीड़ा को कम करना, बुखार, थाइरोइड में उपचार, घाव का उपचार, अल्सर और सूजन आदि के उपचार में रामबाण साबित होती है।

कलियां पकने के बाद इन्हें हाथ से निचोडक़र अतिरिक्त पानी निकालते हुए अलग किया जाता है। आमतौर पर सब्जी बनाने की विधि का प्रयोग करते हुए इसे अच्छी तरह टमाटर का प्रयोग करते हुए बनाया जाता है। कई लोग इसका दही का रायता भी बनाते है। सब्जी औषधीय गुणों से भरपूर होती है।

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औषधीय गुणों से भरपूर होती है कचनार “कराले”

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