आप सभी को गोवर्धन पर्व की हार्दिक बधाई

आप सभी को गोवर्धन पर्व की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं। हर वर्ष की भांति इस बार भी कार्तिक शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को गोवर्धन पर्व बड़ी ही धूमधाम से मनाया जा रहा है। इस बार प्रतिपदा तिथि 21 अक्तूबर शाम को प्रारम्भ हो रही है। हिन्दू धर्म में कोई भी पर्व या व्रत उदयातिथि को मानाने का विधान है।

आप सभी को गोवर्धन पर्व की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं

प्रतिपदा तिथि

कार्तिक शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि शाम को 5 बजकर 54 मिनट पर प्रारंभ होगी और 22 अक्तूबर को रात 8 बजकर 16 मिनट पर समाप्त होगी।

पूजा का मुहूर्त

गोवर्धन पूजा का प्रातः काल का मुहूर्त सुबह 6 बजकर 26 मिनट से लेकर सुबह 8 बजकर 42 मिनट तक रहेगा। सायं काल का मुहूर्त दोपहर 3 बजकर 29 मिनट से शाम 5 बजकर 44 मिनट तक रहेगा।

प्रकृति की पूजा

गोवर्धन पर घर के आंगन में गोबर से गोवर्धन बनाकर पूजा की जाती है। गोवर्धन पूजा को प्रकृति की पूजा भी कहा जाता है, इसकी शुरुआत स्वयं भगवान श्री कृष्ण ने की थी।

गोवर्धन पूजा विधि

  • गोवर्धन पूजा के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नानादि करें।
  • फिर शुभ मुहूर्त में गाय के गोबर से गिरिराज गोवर्धन पर्वत की आकृति बनाएं और साथ ही पशुधन यानी गाय, बछड़े आदि की आकृति भी बनाएं।
  • इसके बाद धूप-दीप आदि से विधिवत पूजा करें।
  • भगवान कृष्ण को दुग्ध से स्नान कराने के बाद उनका पूजन करें।
  • इसके बाद अन्नकूट का भोग लगाएं।

गोवर्धन पूजा का महत्व

गोवर्धन पूजा प्रकृति को समर्पित पर्व है। माना जाता है कि इस दिन भगवान श्रीकृष्ण ने इंद्रदेव का घमंड तोड़ा था और गोवर्धन पर्वत को अपनी कनिष्ठा उंगली पर गोवर्धन पर्वत को उठाकर ब्रजवासियों की जान बचाई थी ।

अन्नकूट का लगता है भोग

लोगों को प्रकृति की सेवा और पूजा करने का संदेश दिया था। ये दिन कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा का दिन था। तभी से इस दिन गोवर्धन पर्वत की पूजा की जाती है और भगवान को सभी तरह की मौसमी सब्जियों से तैयार अन्नकूट का भोग लगाया जाता है।

औजारों का भी होता है पूजन

इसके अलावा लोग अपने औजारों का भी पूजन करते हैं जिसे मंडी जिला की स्थानीय भाषा में पड़ेऊ पूजन भी कहा जाता है। लोग इस दिन विशेष पकवान भी बनाते हैं और विधि पूर्वक औज़ार पूजन करते हैं।

जोगिन्दरनगर उपमंडल के तहत गाँव में इस तरह होता है पड़ेऊ पूजन