नॉन प्रेक्टिस अलाउंस (एनपीए) की मांग पर हड़ताल करने वाले डाक्टरों को स्वास्थ्य निदेशालय ने नोटिस जारी कर दिए हैं। करीब 60 डाक्टरों से अचानक छुट्टी पर चले जाने का कारण इस नोटिस में पूछा गया है। स्वास्थ्य निदेशालय ने एक सप्ताह में नोटिस का जवाब मांगा है। जवाब मिलने के बाद स्वास्थ्य निदेशालय बड़ी कार्रवाई कर सकता है।
सिरे नहीं चढ़ी बात
गौरतलब है कि एनपीए की मांग पर अड़ी मेडिकल आफिसर एसोसिएशन ने पहले अढ़ाई घंटे की पेन डाउन स्ट्राइक शुरू की थी, लेकिन इस बीच सरकार और मेडिकल आफिसर एसोसिएशन के बीच वार्तालाप सिरे न चढ़ने के बाद प्रदेश भर के डाक्टरों ने सात मार्च को सामूहिक अवकाश का फैसला किया था।
इस फैसले के बाद 2600 डाक्टर एक साथ छुट्टी पर चले गए थे। इनमें जिन डाक्टरों ने कैजुअल लीव के लिए आवेदन नहीं किया था। उन्हें स्वास्थ्य विभाग ने नोटिस जारी किया है।
नोटिस का किया विरोध
मेडिकल आफिसर एसोसिएशन ने नोटिस जारी करने का विरोध किया है। साथ ही यह भी दावा किया है कि छुट्टी पर गए सभी चिकित्सकों ने पहले ही सामूहिक अवकाश की जानकारी स्वास्थ्य विभाग को भेज दी थी।
डाक्टरों को किया जा रहा टारगेट
इसके बावजूद डाक्टरों को टारगेट किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि मेडिकल आफिसर एसोसिएशन जायज मांगों को लेकर आंदोलन पर है। स्वास्थ्य विभाग और सरकार को उनकी मांगों पर गौर करना चाहिए और इन्हें जल्द से जल्द पूरा करने के आदेश देने चाहिए।
पहले ही दे थी अवकाश की सूचना : एसोसिएशन
मेडिकल आफिसर एसोसिएशन के महासचिव डा. विकास ठाकुर ने बताया कि अवकाश पर गए डाक्टरों को नोटिस जारी करना गलत है। उन्होंने कहा कि एसोसिएशन ने पहले ही सरकार को एक दिन के सामूहिक अवकाश पर जाने की सूचना दी थी। ऐसे में उनको स्वास्थ्य निदेशक के माध्यम से कारण बताओ नोटिस जारी करना उचित नहीं है।
स्वास्थ्य सेवाओं पर पड़ा था असर : निदेशक
स्वास्थ्य निदेशक डा. गोपाल बैरी ने बताया कि डाक्टरों के अचानक अवकाश पर जाने से स्वास्थ्य सेवाएं प्रभावित हुई हैं। इसे देखते हुए यह नोटिस जारी किया गया है।
7 दिन में देना होगा जवाब
उन्होंने बताया कि डाक्टरों को आगामी सात दिन में जवाब देना होगा। डाक्टरों का जवाब आने के बाद इस मामले में आगामी कार्रवाई की जाएगी।