जोगिन्दर नगर || नाचन और करसोग में इस बार कच्चे बादाम (हरा बादाम) की बेहतर फ्लावरिंग हुई है। इससे बागवान बागबाग हैं और बेहतर फसल की उम्मीद कर रहे हैं। दिल्ली और चंडीगढ़ समेत पड़ोसी राज्यों में इस बादाम की ज्यादा मांग होती है। इसे ठंडाई के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। यह बादाम हृदय रोगों से तो बचाता ही है, त्वचा को भी निखारता है।
बगीचों में जैसे ही कच्चा बादाम तैयार होता है, उसके दो या पांच किलोग्राम के डिब्बे बनाकर बेचे जाते हैं। पांच किलोग्राम का डिब्बा 800 से 1,000 रुपये तक बिकता है। कच्चे बादाम का प्रयोग शीतल पेय ठंडाई के रूप में किया जाता है। यही कारण है कि निर्जला एकादशी तक इस बादाम की बहुत मांग रहती है।
सुभाष पालेकर प्राकृतिक खेती की मास्टर ट्रेनर लीना शर्मा का कहना है कि औषधीय गुणों और उत्पादन में रासायनिक खाद, कीट और फंफूदनाशक दवाओं का प्रयोग न होने के कारण यह बादाम स्वास्थ्य के लिए बहुत ही लाभदायक होता है। खासकर हृदय और त्वचा के लिए यह बहुत लाभकारी है।
मंडियों में सबसे पहले पहुंचता है हिमाचल का बादाम
कलाशन पंचायत के ठंडापाणी निवासी प्रगतिशील बागबान हीरालाल महाजन, सुमित गुप्ता का कहना है कि पांगणा उपतहसील के बगीचों में तैयार बादाम सबसे पहले मंडियों में पहुंच जाता है। यहां के कच्चे बादाम के अच्छे रेट मिलते हैं।
करसोग के एसएमएस डॉ. जगदीश ने बताया कि विभाग की ओर से कच्चे बादाम की खेती के लिए बागबानों को प्रोत्साहित किया जा रहा है। आने वाले समय में इसकी अधिक प्लांटिंग करने पर जोर दिया जा रहा है। हिमाचल में बादाम की करीब एक लाख पेटियां होती हैं।