आपने कभी सोचा है कि जंगल में आग लगाने की एक गलती कितनी जिंदगियों पर भारी पड़ सकती है ?? जंगल में लगी आग से जीव -जंतु, पशु -पक्षी, वन सम्पदा सब कुछ स्वाह हो जाता है. हर वर्ष जंगलों में लगी आग हजारों करोड़ों जीव -जंतुओं को निगल जाती है जिससे पर्यावरण के लिए खतरा पैदा हो रहा है. कहीं न कहीं मानवीय भूल ही इस सब के लिए जिम्मेवार है. भारत में हर वर्ष आग लगने के कारण जान -माल की हानि हमेशा से सुर्खियों में छाई रहती है। स्थानीय लोगों और वन विभाग की तरफ से हर वर्ष जंगल की आग पर काबू करने की कोशिश तो की जाती है लेकिन फिर भी जंगल की आग पर किसी भी तरह की रोक लगाने में सरकारें असमर्थ हैं।
स्वास्थ्य के लिए हानिकारक
जंगलों में लगने वाली आग में 30% की वृद्धि हुई है। जंगल में लगी आग केवल जगंल की आग नहीं होती बल्कि ये स्वास्थ्य संबंधी गंभीर खतरों को जन्म देने का एक जरिया होती है। मतलब अगर जंगल की आग से होने वाली मौतों को सही ना भी माना जाए तब भी ये जरूर कहा जा सकता है कि जंगल की आग के धुएं से लोग बीमार जरूर पड़ते हैं। यानि कि जंगल में लगी आग के धुंए से कई तरह की स्वास्थ्य समस्याएं पैदा होती हैं। इसके अलावा इस धुंए से काफी आर्थिक नुकसान भी होता है।
जमीन की उत्पादकता में आती है कमी
वनों की आग से सांस से सम्बन्धी समस्या तो होती ही है वहीँ ज़मीन की उत्पादकता में भी गिरावट आती है. वनों में हर वर्ष वृद्धि दर में कमी हो रही है जिससे वर्षा का घनत्व कम हो जाता है. जंगल की भूमि में नमी की कमी हो जाती है जिससे भूमि बंजर होने लगती है और बर्फ के ग्लेशियर भी पिघलने लगते हैं.
कई लोगों की जा चुकी है जान
भारत में भी आग की समस्या कई बार जानी नुकसान भी पहुंचा चुकी है। कई राज्यों में आग लगने से जीव -जंतुओं के साथ -साथ कई लोगों की जान भी जा चुकी है.
दो घंटे में फैल जाता है एक साल का प्रदुषण
जंगल में लगी आग से सबसे अधिक खतरा प्रदूषण में बढौतरी का होता है। विशेषज्ञों के अनुसार एक साल में चार से पांच शहरों में प्रदूषण के कारण पर्यावरण जितना दूषित होता है उतना नुकसान पर्यावरण को जंगल की आग से केवल दो घंटे में हो जाता है।
आग लगने की ये हैं ख़ास वजह
खासकर किसान अपने खेतों में खरपतवार जलाते हैं जिससे आग जंगल में पहुँच जाती है. कई बार किसान अपनी घास वाली जगहों में भी आग लगा देते हैं जिससे जंगल आग पकड़ लेती है. कई बार कई शरारती तत्वों की वजह से भी पर्यावरण को भारी नुक्सान झेलने पड़ते हैं. अगर किसान और स्थानीय लोग थोड़ी से सावधानी बरतें तथा सहयोग से आग पर काबू पाने का कार्य करें तो इस तरह की आगजनी की घटनाओं को काफी हद तक रोका जा सकता है.
हालात हो गए हैं खतरनाक और चिंताजनक
पर्यावरणविद पद्मश्री अनिल प्रकाश जोशी ने आग लगने से नष्ट हो चुके जंगलों का दौरा करने के बाद उनकी हालत को खतरनाक और चिंताजनक बताया। हर साल लगी आग पर जोशी कहते हैं कि यह घटनाएं गर्मियों में हर साल होती रही हैं, लेकिन स्थिति कभी इतनी भयावह नहीं हुई। इसके पीछे कई कारण हैं जिनमें से पर्यावरण प्रदूषित होने से बारिश चक्र का पूरी तरह से गड़बड़ाना प्रमुख तौर पर जिम्मेदार है।