लोक निर्माण विभाग और राजस्व विभाग के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज़

जोगिन्दरनगर।। लोक निर्माण विभाग के जोगिंद्रनगर-सरकाघाट-घुमारवीं सड़क के नक्शे व राजस्व विभाग के बंदोबस्त के रिकार्ड में एकरूपता न होने पर सवाल उठाते हुए जोगिंद्रनगर निवासी ओमप्रकाश चौहान ने जोगिंद्रनगर के पुलिस स्टेशन में एफआईआर दर्ज करवाई है। चौहान की शिकायत पर षड़यंत्र के तहत नकली व जाली दस्तावेज बनाने की साजिश रचकर किसी व्यक्ति को गैरकानूनी लाभ पहुंचाने व शिकायतकर्ता की संपत्ति को अकारण नुकसान पहुंचाने के आरोपों पर पुलिस ने भारतीय दंड संहिता की धाराओं 120 बीए 464, 465, 466, 468 व 471 के तहत मामला दर्ज किया है।

क्या है मामला?

चौहान ने अपनी शिकायत में आरोप लगाया है कि रोड इन्फ्रास्ट्रक्चर मैप बनाते समय बस स्टैंड के समीप एक भवन के अवैध कब्जे को उसकी वास्तविक स्थिति में न बता कर, उससे काफी पीछे दिखाया है, जबकि शिकायतकर्ता की दुकान के तहत आती भूमि को लोक निर्माण विभाग की अधिग्रहित भूमि में बता दिया गया। हालांकि न तो कभी अधिग्रहण की प्रक्रिया हुई और न ही उसे किसी तरह का कोई मुआवजा दिया गया। यही नहीं, इसी प्वाइंट राजस्व रिकार्ड के अनुसार लोक निर्माण विभाग की अधिग्रहित भूमि को 44 फीट से बढ़ाकर करीब 58 फीट बता दिया गया।

राजस्व विभाग के तत्कालीन कानूनगो, ग्रामीण राजस्व अधिकारी, लोक निर्माण विभाग के अधिशासी अभियंता, सहायक अभियंता, कनिष्ठ अभियंता, वर्क इंस्पेक्टर व पीडब्ल्यूडी के पटवारी सहित अन्य पर यह आरोप जड़े गए हैं।

जानबूझकर गलत निशानदेही का आरोप

शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया कि कि इस षडयंत्र की बुनियाद तत्कालीन ग्रामीण राजस्व अधिकारी ने वर्ष 2001 में उस समय रख दी थी जब किसी व्यक्ति की शिकायत पर शिकायतकर्ता की दुकान पर अवैध कब्जे का मामला दर्ज करने के लिए गलत निशानदेही की और अपने आला अधिकारियों को रिपोर्ट दी। जोगिंद्रनगर-सरकाघाट-घुमारवीं सड़क की गैरमुमकिन सड़क पर अवैध कब्जाधारी बताया गया जबकि वह सड़क आज भी उसी तरह चल रही है। इस सारे शडयंत्र का पटाक्षेप तब हुआए जब लोक निर्माण विभाग के अवसंरचना नक्शे व राजस्व विभाग की मुसावी में बताई गई तथा भूमि की पैमाइश अलग-अलग पाई गई।

जोगिन्दरनगर की लेटेस्ट न्यूज़ के लिए हमारे फेसबुक पेज को
करें।