हाईटेक होगी पठानकोट-जोगिन्दरनगर रेललाइन

हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले की 97 साल पुरानी पठानकोट-जोगिन्दरनगर नैरोगेज रेलवे लाइन, अब एक बड़े बदलाव की दहलीज पर खड़ी है। इस ऐतिहासिक लाइन को ब्रॉडगेज में बदलने का सर्वेक्षण शुरू हो चुका है, जो सिंतबर में पूरा होगा।

एक पुल से गुजरती रेलगाड़ी

उसके बाद मामला रेलवे बोर्ड में जाएगा और फिर डीपीआर बनेगी। एयरपोर्ट विस्तार के साथ रेलवे विस्तार भी हो जाए तो हिमाचल पर्यटन का सबसे बड़ा केंद्र बन जाएगा।

पठानकोट-जोगिन्दरनगर नैरोगेज लाइन, जो 164 किलोमीटर लंबी है, भारत की सबसे लंबी दो फीट छह इंच (762 मिमी) वाली लाइन है और दुनिया की सबसे लंबी नैरोगेज लाइनों में से एक है।

अंग्रेजों के समय 1926 और 1928 के बीच बनी यह लाइन 950 पुलों, दो सुरंगों और लगभग 500 मोड़ों से होकर गुजरती है।

लगभग एक सदी से यह 30 लाख से अधिक लोगों के लिए एक महत्त्वपूर्ण परिवहन साधन रही है। गौर हो कि पिछले कुछ वर्षों में, लगातार भूस्खलन, पुलों के ढहने और मिट्टी के कटाव के कारण सेवाएं कई बार यह लाइन बाधित हुई है, जिससे कांगड़ा घाटी में जीवन प्रभावित हुआ है और यात्रियों को बसों और निजी वाहनों का सहारा लेना पड़ रहा है।

सांसद राजीव भारद्वाज ने रेलमंत्री से उठाया मुद्दा

पठानकोट-जोगिन्दरनगर नैरोगेज रेलवे लाइन को ब्रॉडगेज में परिवर्तन के मामले को लोकसभा सहित रेलवे मंत्री के समक्ष कांगड़ा-चंबा के सांसद डा. राजीव भारद्वाज ने उठाया है।

उनका कहना है कि मंत्रालय ने गूगल सर्वे शुरू करवा दिया है, जिसके अगले माह तक पूरा होने की उम्मीद है। इसके बाद मामला रेलवे बोर्ड में जाएगा और फिर डीपीआर बनेगी।

हालांकि इसके लिए पूरी प्रक्रिया अपनाई जानी है, लेकिन जिस तरह से केंद्रीय रेलवे मंत्री अश्विनी वैश्वण ने उनकी मांग पर सर्वे करवाने और प्रक्रिया को आगे बढ़ाने की शुरुआत की है।

उससे आने वाले दिनों में इसकी डीपीआर से लेकर आगे की प्रक्रिया भी पूरी हो जाएगी। इससे यहां आने वाले यात्रियों की क्षमता बढ़ेगी, माल ढुलाई तेज होगी और हिमाचल प्रदेश देश के बाकी हिस्सों से अधिक मजबूती से जुड़ जाएगा। सेना सहित सुरक्षा की दृष्टि से भी इन लाइन का बड़ा महत्त्व है।

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