प्रदेश में अगले साल से पूर्णत: अपनाई जाएगी ई-स्टांप प्रणाली -मुख्यमंत्री

शिमला : प्रदेश में आगामी वर्ष से पूर्णतः ई-स्टाम्प प्रणाली से स्टाम्प पेपर की बिक्री सुनिश्चित की जाएगी। राज्य के अधिकृत स्टाम्प विक्रेताओं को एक वर्ष में भौतिक ई-स्टाम्प पेपर से ई-स्टाम्प प्रणाली अपनाने की समय सीमा तय की गई है।

ई-स्टाम्पिंग प्रणाली को पूर्ण रूप से अपनाने से राज्य के राजस्व में भौतिक स्टाम्प पेपरों की छपाई पर प्रतिवर्ष खर्च हो रहे 30 से 50 करोड़ रुपये की भी बचत होगी।

प्रदेश सरकार ने भौतिक स्टाम्प पेपरों की छपाई पर तत्काल प्रभाव से रोक लगाने तथा ई-मोड के माध्यम से ही स्टाम्प ड्यूटी एकत्रित करने का निर्णय लिया है।

एक वर्ष की इस अवधि के दौरान फिलहाल दोनों प्रणालियां चलन में रहेंगी। पहले से छपे स्टाम्प पेपर का उपयोग करने के लिए विक्रेताओं को 1 अप्रैल, 2023 से 31 मार्च, 2024 तक एक वर्ष का समय दिया गया है।

इसके उपरांत पूर्ण रूप से केवल ई-स्टाम्प का ही इस्तेमाल किया जाएगा। प्रदेश सरकार द्वारा ई-स्टाम्प पेपर के लिए स्टाम्प विक्रेताओं को अधिकृत एकत्रीकरण केन्द्रों के रूप में अधिकृत किया जाएगा।

मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंद सिंह सुक्खू का कहना है कि प्रदेश में ई-स्टाम्प प्रणाली वैसे तो वर्ष 2011 में शुरू की गई थी, लेकिन राज्य सरकार ने अब इस ई-मोड को पूर्णतः अपनाने का निर्णय लिया है।

स्टाम्प पेपर के लिए छपाई लागत 500 रुपए मूल्य तक के स्टाम्प पेपर के लिए 20 रुपए, 1000 से 5000 रुपए मूल्य के स्टाम्प पेपर के लिए 22 रुपए तथा 10000 से 25000 रुपये मूल्य के 23 रुपये की लागत आती है। ऐसे में ई-स्टाम्प प्रणाली राज्य सरकार और आम लोगों दोनों के लिए ही लाभदायक सिद्ध होगी।

राज्य सरकार ने पंजाब के ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों की तीन तहसीलों में ई-स्टाम्प मॉडल का भी अध्ययन किया है। यहां इस प्रणाली के उपयोग से व्यापार में सुगमता में सुधार आया है तथा धोखाधड़ी या पुनः उपयोग के मामलों पर अंकुश लगने से राजस्व में भी वृद्धि हुई है।

इसके अलावा यदि मूल ई-स्टाम्प प्रमाण पत्र गुम हो जाता है तो ई-स्टाम्प प्रमाण-पत्र की अनुलिपि तैयार करने का कोई प्रावधान नहीं है। प्रत्येक स्टाम्प पेपर की एक विशिष्ट पहचान संख्या होती है

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