मौसम की बेरुखी के चलते आगामी दो दिन में भी अगर बारिश नहीं हुई, तो बड़ा देव कमरूनाग के गूर की गद्दी संकट में पड़ सकती है। आवश्यकतानुसार बारिश व मौसम साफ रखने की महारत हासिल रखने वाले मंडी जनपद के बड़ा देव कमरूनाग को मनाने में वर्तमान गूर देवी सिंह ठाकुर नाकाम रहे हैं।
जिसके परिणाम स्वरूप क्षेत्र के हजारों किसानों व बागबानों को लंबे समय से भयंकर सूखे से निपटना पड़ रहा है। बता दें कि बड़ा देव कमरूनाग बुधवार को लाव लश्कर के साथ उपमंडल मुख्यालय गोहर पधारेंगे।
लिहाजा गुरुवार को गोहर के समीप कुफरीधार मंदिर परिसर में इनके एक दिवसीय मेले का आयोजन किया जाएगा। मेले के सफल आयोजन को लेकर प्रबंधन कमेटी ने क्षेत्र के लोगों से धन की उगाही कर ली है।
लोगों का कहना है कि यदि दो दिन के भीतर पर्याप्त बारिश नहीं हुई, तो वे गुरुवार को मेले में वर्तमान गुर के बदलने की रणनीति तैयार करेंगे।
जिसमें गुर की टोली के पूर्व में रहे गुरों तथा कमरूनाग को मनाने का दम भरने वालों से कमरूनाग को मनाने का क्रम शुरू कर देंगे। तदोपरांत जिस भी व्यक्ति की गुहार पर कमरूनाग मेघ बरसाएंगे लोग परंपरा का निर्वहन करते हुए उसके पास करोड़ों की संपति सहित देवता को सौंप देंगे।
गोहर में यह मेला सर्दियों से साल में दो बार (पौष व आषाढ़़ महीने) आयोजित किया जाता रहा है। किसान आवश्यकतानुसार बारिश व मौसम साफ करने की गुहार लगाते हैं ताकि उनकी फसलों का अच्छा उत्पादन हो सके।
कड़ी अग्निपरीक्षा के बाद मिलती है गूर की गद्दी
बड़ादेव कमरूनाग के गुर की गद्दी कड़ी अग्निपरिक्षा के बाद मिलती रही है। समय पर बारिश व आसमान साफ न होने पर क्षेत्र के किसान व बागबान गुर टोली के उन लोगों से दूप देने की प्रक्रिया शुरू करते हैं, जो देवता को मनाने का दम भरते हैं।
फिर जिस भी व्यक्ति द्वारा लगाई गई गुहार पर कमरूनाग बारिश या आसमान साफ करते हैं उसे करोड़ों की संपति सहित देवता का रथ सौंप दिया जाता है।
क्षेत्र के किसानों व बागबानों का कहना है कि वर्तमान गुर देवता को मनाने में नाकाम रहे हैं। जबकि वे पिछले कई महीनों से कमरूनाग के समक्ष जल्द बारिश देने की गुहार लगा चुके है।
क्षेत्र के लोगों ने अब गुर देवी सिंह को दो दिनों का अंतिम मौका दिया है। यदि इस दौरान बारिश नहीं हुई तो गुरुवार को होने वाले मेले में गूर बदलने की प्रक्रिया आरंभ कर दी जाएगी।
वर्तमान गूर देवी सिंह ठाकुर के बोल
मौजूदा गुर देवी सिंह ठाकुर का कहना है कि वे देवता के समक्ष बारिश देने की गुहार कई बार लगा चुके है। यदि लोग परता प्रक्रिया को शुरू करना चाहते हैं, तो उसमे उन्हें कोई ऐतराज नहीं होगा।
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