मंडी पठानकोट राष्ट्रीय उच्च मार्ग-154 के तहत फोरलेन पैकेज 4 ( परौर से नारला) की अलाइनमेंट को लेकर अब उपमंडल के लोग आपस में ही बंटने लगे है तथा एक तरफ जहां ऊपरी क्षेत्र की कुछ पंचायतों के बाशिंदे पुरानी अलाइनमेंट के तहत फोरलेन बनाए जाने की मांग को लेकर लामबंद हुए हैं और ऐसा न किए जाने की सूरत में जन आंदोलन किए जाने की बात कर रहे हैं।
वहीं अब निचले क्षेत्र के लोग भी लामबंद होने लगे हैं। फोरलेन हेतु तय वैकल्पिक अलाइनमेंट को बरकरार रखे जाने की मांग को लेकर आज निचले क्षेत्र की पंचायतों के लोगों ने बुधवार को मच्छयाल में एक बैठक कर केंद्रीय भूतल एवं परिवहन मंत्रालय से मांग की कि फोरलेन पैकेज चार के तहत बनने वाले परौर से नारला तक के भाग का निर्माण भी शीघ्र करवाया जाए और इसका निर्माण वैकल्पिक अलाइनमेंट के तहत ही करवाया जाए।
कहा गया कि पुरानी एलाइनमेंट के तहत सडक़ का काफी हिस्सा धंस बार बार धंस रहा है तथा इस कारण बहुत सी जानें भी जा चुकी हैं।
ऐसे में बिना कोई रिस्क लिए वैकल्पिक अलाइनमेंट के तहत ही फोरलेन का निर्माण करवाया जाए। कहा गया कि वह लोग किसी के भी व्यक्तिगत विरोधी नहीं है।
लेकिन पुरानी अलाइनमेंट के तहत फोरलेन बनाए जाने के इस लिए हक में नहीं हैं कि सडक़ धंसने के कारण भविष्य में होने वाली किसी भी दुर्घटना को टाला जा सके। कहा गया कि एनएचएआई द्वारा भी इसी बात के दृष्टिगत वैकल्पिक अलाइनमेंट का मसौदा तैयार किया है।
अत: फोरलेन का निर्माण शीघ्र रहता वैकल्पिक अलाइनमेंट के तहत करवाया जाए।
पठानकोट-शाहपुर फोरलेन की वर्तमान स्थिति
वहीँ उपमंडल नूरपुर के तहत बन रहे फोरलेन सड़क के धीमी गति से चल रहे निर्माण कार्यों से लोग परेशान है । इस निर्माणाधीन सडक़ पर सफर करना खतरों भरा है।
कंडवाल से लेकर भेडख़ड्ड तक 28 किलोमीटर लंबे फोरलेन के ज्यादातर हिस्सों में सफर करना किसी चुनौती से कम नहीं है, परंतु पठानकोट की ओर जाते समय जसूर से पक्का टियाला तक सफर रिस्की है।
अपनी समय अवधि से लगभग छह महीने से ज्यादा समय हो जाने पर भी यह फोरलेन सडक़ पूरी तरह नहीं बन पाया है। उपमंडल नूरपुर के तहत पठानकोट-मंडी फोरलेन सड़क परियोजना के तहत कंडवाल से लेकर भेडख़ड्ड तक लगभग 28 किलोमीटर लंबे फोरलेन का काम मई 2022 को शुरू हुआ था।
इसे मई 2024 में पूरा होना था, परंतु इसके निर्माण कार्य की निर्धारित समय अवधि के छह माह गुजरने पर भी पूरा नहीं हो पाएगा।
इसका एनएचएआई के अधिकारियों के पास कोई संतोषजनक जबाव नहीं है।