शिमला : मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने बुधवार 9 फरवरी को अचानक कैबिनेट बैठक बुला ली है। ऐसे में शॉर्ट नोटिस पर बाहर अपने क्षेत्रों में डटे मंत्रियों को रात को ही शिमला का रुख करना पड़ा। 11 मंत्रियों में से 8 शिमला से बाहर थे।
मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने बुधवार नौ फरवरी को अचानक कैबिनेट बैठक बुला ली है। उन्होंने सभी मंत्रियों को सुबह 10 बजे शिमला बुला लिया है। दस बजे के बाद यह बैठक राज्य सचिवालय में होगी। ठेकेदारों की हड़ताल से चरमराई व्यवस्था को इसका कारण बताया जा रहा है।
ऐसे में शॉर्ट नोटिस पर बाहर अपने क्षेत्रों में डटे मंत्रियों को रात को ही शिमला का रुख करना पड़ा। 11 मंत्रियों में से 8 शिमला से बाहर थे। सुरेश भारद्वाज, डॉ. रामलाल मारकंडा और डॉ. राजीव सैजल शिमला में ही हैं। मंगलवार शाम को विधि एवं शहरी विकास मंत्री सुरेश भारद्वाज, मुख्य सलाहकार त्रिलोक जमवाल, महाधिवक्ता अशोक शर्मा, अतिरिक्त मुख्य सचिव उद्योग आरडी धीमान, उद्योग निदेशक राकेश प्रजापति, पूर्व मंत्री राजीव बिंदल और विधि विभाग के अधिकारियों के साथ भी ठेकेदारों के मसले पर सीएम ने बैठक की।
उधर, हिमाचल ठेकेदार यूनियन की हड़ताल मंगलवार को दूसरे दिन जारी रही। जिला स्तर पर अधिशाषी अभियंता कार्यालय के बाहर नारेबाजी की गई। इस दौरान अधिकारियों को मांग पत्र भी सौंपे गए। आगामी रणनीति के लिए बुधवार को यूनियन के पदाधिकारी शिमला पंचायत भवन मेें जुटेंगे।
वर्तमान में प्रदेश में छोटे बड़े ठेकेदारों की संख्या 20 हजार बताई जा रही है। हिमाचल ठेकेदार एसोसिएशन के अध्यक्ष सतीश कुमार बिज ने कहा कि अगर प्रदेश सरकार ने मांगें नहीं मानीं तो बाहरी राज्यों से बजरी और रेत हिमाचल लाया जाएगा। उन्होंने कहा कि सरकार ठेकेदारों की मांगों पर विचार नहीं कर रही है।
मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर से इस मामले में कई उठाया गया, अधिकारियों से भी बैठकें हुई हैं, लेकिन आश्वासन ही दिया गया। सोमवार को भी मुख्यमंत्री ने मामले सुलझाने के लिए आश्वासन ही दिया है। ठेेकेदार सरकार से माइनिंग के नियमों मेें संशोधन कर सरलीकरण की मांग कर रहे हैं।
क्रेशर में डब्ल्यू एक्स फ़ार्म देने की सीमा तय की गई है। ठेकेदारों को यह फ़ार्म नहीं मिल रहे हैं, जिससे लोक निर्माण और अन्य विभागों के पास करोड़ों की राशि फंसी हुई है। ठेकेदारों का एक जुलाई 2017 से पहले के कार्यों पर रिफंड का मामला भी लटका है। इस कारण ठेकेदार हड़ताल पर हैं ।