हिमाचल प्रदेश में हुई तेज बारिश के बाद ज्वालामुखी और पालमपुर के समीप भूस्खलन के कारण ठप पड़े पठानकोट-जोगिंद्रनगर रेल सेक्शन पर मंगलवार से फिर ट्रेनों की छुक-छुक सुनाई देगी। हैरानी की बात है कि यह रेलवे ट्रैक अंग्रेजों के जमाने का बना हुआ है लेकिन प्रदेश और केंद्र की सरकारों ने हमेशा ही इस ट्रैक की अनदेखी ही की है. खैर, रेलगाड़ी के लम्बे अन्तराल के बाद शुरू होने से रेल में यात्रा करने वाले यात्रियों ने राहत की सांस ली है. हिमाचल आने वाले यात्रियों को 7 गुणा अधिक किराया खर्च कर बस में आना पड़ रहा था.
सोमवार को हुआ सफल ट्रायल
सोमवार को अकेले इंजन के साथ पठानकोट से गुलेर तक का सफल ट्रायल करने के बाद टेक्निकल और इंजीनियरिंग विंग ने ट्रेनों को बहाल करने पर सहमति जताई है। 47 दिन ठप रहे इस रूट पर सभी 14 ट्रेनों को बहाल कर दिया गया है पर फिलहाल कोई ट्रेन गुलेर से आगे नहीं जा पाएगी।
अभी राहत कार्य है ज़ारी
अधिकारियों के मुताबिक गुलेर से आगे अभी राहत कार्य चल रहा है, जल्द ही सभी ट्रेनों को जोगिंद्रनगर तक चला दिया जाएगा। हिमाचल में भारी बारिश से हुई लैंड स्लाइडिंग के बाद 10 जुलाई को नैरोगेज कांगड़ा घाटी की नाइट सर्विस बंद कर छह ट्रेनों (अप डाउन) को बंद किया।
भूस्खलन के चलते रद्द थी ट्रेनें
28 जुलाई को चार और ट्रेनें रद्द की गई। उसके बाद 10 से 25 अगस्त तक हुई तेज बारिश के बाद ज्वालामुखी रोड, कोपरलाहड़ और पालमपुर नैरोगेज स्टेशनों के पास 6 जगह लैंड स्लाइडिंग हो गई, जिसकेचलते 13 अगस्त को फिरोजपुर रेल डिवीजन ने सभी 14 (अप-डाउन) ट्रेनें बंद करने का आदेश जारी किया था।
7 गुणा अधिक लग रहा था किराया
रेल में यात्रा करने वाले यात्री अब राहत की सांस लेंगे क्योंकि रेलवे रूट रद्द होने के कारण हिमाचल जाने के लिए लोगों को 7 गुणा अधिक किराया खर्च बस से जाना पड़ रहा था।