पर्यटन विकास की दृष्ठि से यहां अपार संभावनाएं मौजूद हैं. मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश सरकार द्वारा इस स्थल को रज्जूमार्ग से जोड़ने के लिए सर्वेक्षण करवाया जा रहा है तथा रज्जूमार्ग की उपयुक्तता पाये जाने पर इस स्थल को रज्जूमार्ग से जोड़ दिया जाएगा. इसके अतिरिक्त आदि हिमानी चामुण्डा के लिए हैली-टैक्सी सेवा को आरम्भ करने का भी प्रयास किया जा रहा है. उन्होंने बताया कि हिमानी चामुण्डा में श्रद्धालुओं की बढ़ती संखया के मध्यनज़र बिजली, पानी व ठहरने के लिए सराय इत्यादि की व्यवस्था की जाएगी. उन्होंने कहा कि इस प्राचीन मंदिर को पर्यटन की दृष्ठि से विकसित होने पर स्थानीय लोगों को स्वरोजगार के अवसर प्राप्त होंगें. प्रो. धूमल ने कहा कि प्रदेश सरकार द्वारा पर्यटन को एक उद्योग के रुप में विकसित किया जा रहा है. उन्होंने बताया कि ग्रामीण पर्यटन एवं अनछुए स्थलों को पर्यटन की दृष्ठि से विकसित करने के लिए सरकार द्वारा ‘होम स्टे’ तथा ‘हर गांव की कहानी’ योजनाएं कार्यान्वित की हैं ताकि प्रदेश के कुछ स्थलों पर बढ़ते पर्यटकों के दबाव को कम किया जा सके और पर्यटक ग्रामीण परिवेश की पारम्परिक संस्कृति, वेशभूषा, रीति-रिवाज इत्यादि की जानकारी हासिल करने के साथ- साथ गांवों के स्वच्छ एवं प्रदूषणामुक्त वातावरण का आनन्द ले सकें.
उन्होंने बताया कि प्रदेश में धार्मिक पर्यटन के साथ- साथ पैराग्लाइडिंग, स्की-डाइविंग, पर्वतारोहणा, रीवर राफटिंग तथा जलक्रीड़ा जैसी साहसिक पर्यटन की संभावनाएं मौजूद हैं. मुख्यमंत्री ने कहा कि कांगड़ा जिला में पर्यटन गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए एशियन विकास बैंक की सहायता से 15 करोड़ रुपए की राशि व्यय की जा रही है जिसके तहत कांगड़ा जिला के मसरुर मंदिर के जीणेrद्वार एवं अन्य नागरिक सुविधाएं उपलब्ध करवाने पर साढ़े तीन करोड़ रुपए की राशि व्यय की जा रही है. इसके अतिरिक्त महाराणा प्रताप सागर में पर्यटन गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए 5 करोड़ 47 लाख रुपए की राशि व्यय की जा रही है जिसके तहत एक करोड़ 27 लाख रुपए की लागत से पौंग डैम सूचना केंद्र का निर्माण किया जा रहा है जबकि 3 करोड़ रुपए की राशि सामुदायिक पर्यटन विकास तथा 75 लाख रुपए की राशि पाक्रिंग एवं अन्य सुविधाओं पर व्यय की जा रही है.