कल्पना चावला का जन्म 1 जुलाई, 1961 ई. को हरियाणा के करनाल कस्बे में हुआ था। कल्पना चावला अंतरिक्ष में जाने वाली प्रथम भारतीय महिला थी। कल्पना के पिता का नाम श्री बनारसी लाल चावला तथा और माता का नाम संज्योती था। वह अपने परिवार के चार भाई बहनों मे सबसे छोटी थी।
शिक्षा
कल्पना चावला ने 1976 में करनाल के टैगोर स्कूल से स्नातक, 1982 में चंडीगढ़ से एरोनॉटिकल इंजीनियरिंग तथा 1984 में टेक्सास विश्वविद्यालय से एरोस्पेस इंजीनियरिंग में एम. ए. किया। उन्होंने 1988 में कोलोरेडो विश्वविद्यालय से डॉक्टर ऑफ़ फ़िलॉसफ़ी की डिग्री प्राप्त की। इसी वर्ष कल्पना ने नासा के एम्स रिसर्च सेंटर में काम करना शुरू किया। 1994 में उनका चयन बतौर अंतरिक्ष-यात्री किया गया। उन्होंने फ़्रांसीसी व्यक्ति जीन पियर से शादी की थी।
अंतरिक्ष उड़ान
कल्पना की पहली अंतरिक्ष उड़ान एस. टी. एस.-87 कोलंबिया स्पेस शटल से संपन्न हुई तथा इसकी अवधि 19 नवंबर से 5 दिसंबर, 1997 थी। कल्पना की दूसरी और अंतिम उड़ान 16 जनवरी, 2003 को कोलंबिया स्पेस शटल से ही आरंभ हुई। यह 16 दिन का मिशन था। उन्होंने अपने सहयोगियों सहित लगभग 80 परीक्षण और प्रयोग किए। वापसी के समय 1 फरवरी 2003, को शटल दुर्घटना ग्रस्त हो गई तथा कल्पना समेत 6 अंतरिक्ष यात्रियों की मृत्यु हो गई।
कल्पना चावला को बचने के लिए मिले थे 41 सेकंड्स
2003 में दुर्घटना का शिकार होने वाले स्पेस शटल कोलंबिया पर भारतीय मूल की अंतरिक्षयात्री कल्पना चावला और छह अन्य अंतरिक्षयात्रियों के पास यान में आई आपदा से निपटने के लिए केवल 41 सेकंड्स का समय था। कोलंबिया के चालक दल के सदस्यों की पहली चेतावनी एक केबिन अलार्म था। इसके कुछ ही सेकंड्स बाद शटल के कंट्रोल जेट में प्रॉब्लम आ गई।
अंतरिक्षयात्रियों के पास संभलने के लिए और कुछ करने के लिए केवल 41 सेकंड्स ही थे। पाइलट विलियम मैक्कूल ने कंट्रोल पैनल पर कई बटनों को दबाया और प्रणाली को फिर से चालू करने का प्रयास किया। चीजें इतनी तेजी से घटीं कि कोई भी सदस्य अपने हेलमेट बंद नहीं कर सका। यहां तक कि एक अंतरिक्षयात्री तो हेलमेट पहने ही नहीं था। नासा की रिपोर्ट के अनुसार चालक दल के सदस्यों ने अपनी सुरक्षा के लिए साहस दिखाया लेकिन दुर्घटना से बचा नहीं जा सका।