जोगिन्दरनगर : हिमाचल प्रदेश को देव भूमि के नाम से भी जाना जाता है. कई प्रकार के देवी -देवताओं के मंदिर इस प्रदेश की पहचान है. इस प्रदेश में लोग अपने -अपने देवी देवता का बड़ी ही श्रद्धा के साथ पूजन करते हैं. ऐसा ही एक प्राचीन नाग देवता का मंदिर बैजनाथ के पास मोड़ में स्थित है. इस मंदिर में सोमवार के दिन पूजा अर्चना करने से काल सर्प दोष से पीड़ित व्यक्ति को हमेशा के लिए छुटकारा मिलता है.
बैजनाथ मोड़ में स्थित है मंदिर
प्रदेश में स्थित हर मंदिर अपनी ही विशेषता लिए हुए है. ऐसा ही एक नाग देवता का मंदिर जोगिन्दरनगर से बीस किलोमीटर दूर मंडी पठानकोट सड़क के किनारे बैजनाथ {जिला काँगड़ा} मोड़ के पास स्थित है. यह मंदिर अवाही नाग मंदिर के नाम से जाना जाता है.
मनोकामना होती है पूरी
अवाही नाग के पुजारी बताते हैं कि यह मंदिर काफी प्राचीन है. मान्यता के अनुसार विशेषकर बरसात के दिनों में जब किसी के घर कोई समारोह होता था तो लोग मन्नत मांगते थे कि समारोह बिना किसी के व्यवधान के सम्पन्न हो जाए और अवाही नाग की कृपा से ऐसा होता भी था.
नहीं होता साँपों का डर
मंदिर के पुजारी का कहना है कि यहाँ पूजा अर्चना करने से जहाँ लोगों को काल सर्प दोष से मुक्ति मिलती है वहीँ किसी भी भक्त के घर साँप निकलने का खतरा कम हो जाता है.
श्रावण मास होता है ख़ास
श्रावण महीने में इस मंदिर का महत्व और भी बढ़ जाता है. काल सर्प दोष से पीड़ित व्यक्ति यहाँ श्रावण के महीने में विशेष पूजा अर्चना करते हैं. इसके अलावा किसी भी सोमवार को यहाँ पूजा अर्चना की जा सकती है. यहाँ भंडारे का भी आयोजन किया जाता है.
नागपंचमी के दिन होती है विशेष पूजा
इस दोष से पीड़ित व्यक्ति इस मंदिर में प्रत्येक सोमवार को विशेष पूजन होता है. खासकर नागपंचमी के दिन दूध और चांदी से बना हुआ नाग और नागिन का जोड़ा यहाँ चढ़ाया जाता है. विधिवित पूजा अर्चना करने से लोग काल सर्प दोष से मुक्ति पाते हैं.
भोले का भी है मंदिर
इस मंदिर के साथ ही बाईं ओर भगवान शिव का मंदिर भी है. भगवान भोले के चरणों से बहता हुआ झरना सबका मन मोह लेता है. यहाँ से बीड़-बीलिंग की खूबसूरत वादियों का आनन्द भी लिया जा सकता है.
दूर दूर से आते हैं भक्त
काल सर्प दोष से मुक्ति के लिए यहाँ भक्त दूर -दूर से अवाही नाग मंदिर में आते हैं. हर सोमवार को यहाँ भक्तों की विशेष भीड़ रहती है. “जय अवाही नाग”