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चौहारघाटी : चौहार घाटी के मुख्य देवता इलाका हस्तपुर नरेश भगवान कृष्ण रूपी बड़ादेयो हुरंग नारायण एवं चौहारघाटी अमरगढ़ नरेश भगवान बलराम रूपी बड़ादेयो घड़ौनी नारायण अपने हार भ्रमण पर पद्धर क्षेत्र के उरला में पहुंच चुके हैं। दोनों देवताओं के साथ इस बार देवलुओ की संख्या काफी है। चौहारघाटी के प्रमुख दोनों देवता चार वर्ष का कार्यकाल पूरा होने पर पांचवे वर्ष हार भ्रमण पर निकलते हैं।
घाटी के प्रमुख देवताओं की समूचे पद्धर उपमंडल में विशेष मान्यता रहती है। देवता क्षेत्र के हर गांव व घर में दस्तक देकर लोगों को आर्शिवाद दे रहे हैं। आस्थावान लोग भी देवताओं से मांगी गई मन्नतें पूर्ण होने पर उन्हें अपने घर बुलाकर जातर का चढ़ावा भेंट कर रहे हैं।
बड़ादेयो हुरंग नारायण का हार भ्रमण लगभग डेढ़ महीना पहले शुरू हुआ है। इस बीच देवता मध्य चौहारघाटी क्षेत्रए धमच्चयाण, लटराण, लपास, रूलंग, बरोट, मयोट से होते हुए जोगिंदरनगर क्षेत्र के हराबाग पहुंचे। जोगिंद्रनगर क्षेत्र की हारगुनैण, रोपा पद्धर, गुम्मा पंचायतों का दौरा कर शुक्रवार को पद्धर क्षेत्र में प्रवेश कर गए। दोनों क्षेत्र की सीमा घटासणी में लोगों ने गर्मजोशी के साथ देव हुरंग नारायण का स्वागत किया।
देवता का रथ उरला पंचायत को रवाना हो गया। आने वाले दिनों के भी देव हुरंग नारायणए गवाली, डलाह, पद्धर बाजारए नारला, जुंढर, सीह से होते हुए कुन्नू पहुंचेंगे। लोहड़ी पर्व के दिन देव हुरंग नारायण इलाका दूंधा के गवाहन गांव में चमारका जातर मेला में हिस्सा लेेंगे। इस स्थली को देवता का ननिहाल माना जाता है। यहां से देव हुरंग गवाहन गांव में स्थित अपने मूल स्थली पहुंचेगे।
यहां भी जातर मेला का आयोजन होगा। देव हुरंग नारायण का इसके उपरांत भी लंबा हार भ्रमण कार्यक्रम पधर क्षेत्र का रहेगा। देव घड़ौनी नारायण नारला पहुंच चुके हैं। दोनों देवताओं के बीच भाई का रिश्ता रहता है। ऐसे में हार भ्रमण के दौरान दोनों देवताओं का पद्धर के किसी गांव में मिलन हो सकता है।
देव अग्रिपाताल कतियुर टीला, देव सियुन गहरी भी पधर क्षेत्र के हार भ्रमण के दौरे पर हैं। देव अधिष्ठाता देव पतंजली पाईंदल ऋषि भी इस बार हार भ्रमण पर हैं। देव ऋषि का हार कार्यक्रम तीन वर्ष के बाद का रहता है।
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