उत्सव प्रियता भारतीय जीवन एवं संस्कृति की प्रमुख विशेषता है यहां न केवल नर से बने नारायण की पूजा होती है अपितु उसके अन्य स्वजनों वनस्पति, पहाड़, नदियां, जलचर अथवा थलचर जो भी हों, उनकी भी श्रद्धा एवं धार्मिक दृष्टिकोण से पूजा अर्चना होती है.
गाय की पूजा भगवान श्री कृष्ण के कारण, बैल को शंकर भोले बाबा का वाहन होने के कारण, नाग की भोले फक्कड़ बाबा के परम श्रृंगार के कारण पूजा होती है. श्रावण मास की शुक्ल पक्ष में आने वाली पंचमी को नागपंचमी कहते हैं. इस दिन नागों की पूजा की जाती है तथा नागों का दर्शन करना शुभ माना जाता है.
मानव सभ्यता में इन्हें सूर्य तथा शक्ति का अवतार माना जाता है. नाग पंचमी के दिन क्या न करें ? नाग पंचमी के दिन पृथ्वी को खोदने का काम वर्जित माना गया है. प्राचीन ग्रंथकारों के अनुसार वर्षा ऋतु में सर्पों के निकलने का समय होता है. भोले नाथ भंडारी महाशिवरात्रि के दिन अपनी झोली से विषैले जीवों को भूमि पर विचरण हेतु छोड़ देते हैं तथा जन्माष्टमी के दिन पुन: अपनी झोली में समेट लेते हैं.
वर्षा ऋतु में नागों के बिलों में पानी भर जाने के कारण वे बाहर आ जाते हैं. इसी कारण प्रत्यक्ष नाग पूजन का समय नागपंचमी का दिन विशेष महत्व रखता है. इस मास में भूमि पर हल नहीं चलाना चाहिए. मकान बनाने के लिए नींव भी नहीं खोदनी चाहिए. नाग पंचमी के दिन क्या करें? सेवियों का प्रसाद नागों को अर्पित करें. आटे का प्रतीक स्वरूप नाग बनाकर उसका पूजन किया जाता है.
नाग पंचमी के दिन चांदी के सर्प-सर्पणी के जोड़े के ऊपर नवग्रह पूजन, कालसर्प पूजन व राहू केतु का पूजन करने से कालसर्प दोष का भय समाप्त हो जाता है. इस दिन किसी सपेरे से नाग खरीदकर उसे खुले जंगल में छोडऩे से शांति मिलती है. नाग पंचमी के दिन दूध, कुशा, गंध, फूल लड्डुओं से निम्र मंत्र पढ़ कर स्तुति करें ऊँ कुरुकुल्ये हुं फट् स्वाहा.’ नाग पूजन में चंदन की लकड़ी का प्रयोग अवश्य करें.
उन्हें चंदन की सुगंध अति प्रिय है. नाग पूजा से कभी सर्प के काटने का भय नहीं रहता. कुल में कभी सर्प दंश से मृत्यु नहीं होती.
स्रोत : जागरण