इसी प्रकार रक्षा का बंधन के शुभ मुहूर्त का समय भी शास्त्रों में निहित है, शास्त्रों के अनुसार भद्रा समय में श्रावणी और फाल्गुणी दोनों ही नक्षत्र समय अवधि में रक्षा बंधन का त्यौहार नहीं मनाना चाहिए. इस समय राखी बांधने का कार्य करना मना है और त्याज्य होता है. मान्यता के अनुसार श्रावण नक्षत्र में राजा अथवा फाल्गुणी नक्षत्र में राखी बांधने से प्रजा का अहित होता है. इसी का कारण है कि राखी बांधते समय, समय की शुभता का विशेष रुप से ध्यान रखा जाता है.
9.30 पर समाप्त होगा भद्रा योग
दिनांक 3 अगस्त को भाई -बहन के प्रेम का त्यौहार रक्षाबंधन मनाया जाएगा. रक्षाबंधन का त्यौहार श्रावण मास की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है, इस दिन बहनें अपने भाईयों की कलाई पर राखी बांधकर उनके खुशहाल जीवन की कामना करती हैं. भाई भी अपनी बहनों को उनकी रक्षा करने का वचन देते हैं. राखी के दिन सावन का सोमवार भी है. रक्षाबंधन पर भद्रायोग सुबह 9.30 पर ही समाप्त हो जाएगा, जिससे पूरे दिन राखी बांधने का समय रहेगा.
सभी बहनों को होता है इंतज़ार
रक्षा के सूत्र के लिए उचित मुहूर्त्त का इंतजार सभी की चाह है पर सबसे खास बात है राखी के साथ कुमकुम रोलौ, हल्दी, चावल, दीपक, अगरबती, मिठाई का उपयोग किया जाता है. कुमकुम हल्दी से भाई का टीका करके चावल का टीका लगाया जाता है और भाई की कलाई पर राखी बांधी जाती है.
पकवान रखते हैं विशेष महत्त्व
अन्य त्यौहारों की तरह इस त्यौहार पर भी उपहार और पकवान अपना विशेष महत्व रखते है.इस दिन पुरोहित तथा आचार्य सुबह सुबह अपने यजमानों के घर पहुंचकर उन्हें राखी बांधते है, और बदले में धन वस्त्र, दक्षिणा स्वीकार करते है. राखी बांधते समय बहनें निम्न मंत्र का उच्चारण करें, इससे भाईयों की आयु में वृ्द्धि होती है. “येन बद्धो बलि राजा, दानवेन्द्रो महाबल: I तेन त्वांमनुबध्नामि, रक्षे मा चल मा चल II”
बड़ों का लें आशीर्वाद
रक्षा बंधन का पर्व जिस व्यक्ति को मनाना है, उसे उस दिन प्रात: काल में स्नान आदि कार्यों से निवृ्त होकर, शुद्ध वस्त्र धारण करने चाहिए. इसके बाद अपने इष्ट देव की पूजा करने के बाद राखी की भी पूजा करें साथ ही पितरों को याद करें व अपने बडों का आशीर्वाद ग्रहण करें.
स्रोत : हिंदुमार्ग