समृद्ध संस्कृति को समेटे हुए है मलाणा गाँव

मलाणा (मनमिंदर अरोड़ा): हिमाचल प्रदेश में जिला कुल्लू के पास दुनिया को लोकतंत्र सिखाने वाला एक खूबसूरत गांव है मलाणा. पहाड़ों की गोद में बसा मलाणा गांव आज भी बरसों पुरानी अपनी समृद्ध संस्कृति को समेटे हुए है. मलाणा, देश का इकलौता ऐसा गांव है, जहां लोगों का अपना ही प्रशासन है. यहां सभी फैसले देव नीति से होते हैं और यहां के अपने ही कानून हैं. इसमें सरकार भी दखलअंदाजी नही करती.

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लोकसभा की तरह यहां पर कनिष्टांग है, जबकि राज्यसभा की ही तरह ज्येष्टांग है. हर तीन साल में इनके लिए चुनाव होते हैं. यहां की लोकतांत्रिक व्यवस्था की विशेषता यह है कि सदस्य ठीक से काम न करे, तो उसे र्निधारित अवधि से पहले भी हटाया जा सकता है. चुनाव देवता जमदग्रि ऋषि के आदेशानुसार कराए जाते हैं. इस अति प्राचीन संसदीय लोकतंत्र के ऊपरी सदन के सदस्यों की संख्या 11 है. इसमें से आठ का चुनाव होता है और तीन को मनोनीत किया जाता है. मनोनीत किए जाने वाले सदस्यों में पुजारी और गुरु होते हैं.

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गांव में किसी भी तरह के विवाद या अन्य किसी भी अहम मसले पर चर्चा के लिए परिषद की बैठक बुलाई जाती है. यह बैठक गांव के बीचों-बीच पत्थरों से बने चबूतरे पर होती है. गांव के लोग परिषद के फैसलों को मानते हैं. मलाणा के बारे में कई तरह की कहानियां कही जाती है, जिनके सच-झूठ के बारे में तो विश्वास के साथ कुछ भी कहना मश्किल है लेकिन इसे दुनिया की सबसे प्राचीन लोकतंत्रिक व्यवस्था कहा जा सकता है.