गुजरे ज़माने की बात बनने के कगार पर खड़ी पहाड़ी पर चढ़ने वाली दुनिया की एकमात्र ट्राली ट्रेन!

Haulage Way System, यानी ढुलाई पथ प्रणाली. जोगिंदर नगर, शानन में बनी हौलेज वे सिस्टम लोहे के रस्सों की सहायता से लोहे की पटरी पर चलने वाली दुर्लभ प्रणाली है.

शानन से बरोट तक चलती थी यह ट्रॉली

हिमाचल प्रदेश की जोगिन्दर नगर तहसील के शानन से चलकर बरोट नामक ऊँचे पहाड़ी स्थान तक बनी हौलेज वे सिस्टम या प्रणाली यानि लोहे के रस्सों की सहायता से पटरियों पर चलने वाला ट्राली सिस्टम संभवत दुनिया का एकमात्र सिस्टम है. इसे कर्नल बैटी और उनकी टीम ने 1926 के आसपास बनाया था. दरअसल यह प्रणाली यहाँ पर 1920-1933 के बीच बने पानी से चलने वाले पॉवर हाउस की मशीनरी और अन्य सामान को नीचे से ऊपर पहाड़ी तक ढोने के लिए बनाई गयी थी.

18 नम्बर स्थान है अद्भुत

4150 फीट की ऊंचाई पर स्थित “बफर स्टॉप” के बाद इस ढुलाई मार्ग प्रणाली में कई ठहराव स्थल हैं. अगला ठहराव स्थल “ऑडिट जंक्शन” है जोकि 6000 फीट की ऊंचाई पर स्थित है. इस स्थान को अठारह नम्बर भी कहा जाता है. यह स्थान शानन से 1.5 किमी की दूरी पर है.

बिजली घर बनाने में हुआ था इस ढुलाई प्रणाली का प्रयोग

बरोट इस प्रणाली का अंतिम ठहराव या गंतव्य स्थल है जोकि इस प्रणाली के आधार स्थल शानन से केवल 9 किमी की दूरी पर स्थित है. गौरतलब है कि जोगिंदर नगर(शानन) से बरोट की वास्तविक सड़क दूरी 40 किमी है. अंग्रेजों ने इस ढुलाई प्रणाली का निर्माण एवं उपयोग शानन में बिजली घर बनाने के लिए किया था. यह दुखद है कि अंग्रेजों की पहल के बाद इस प्रणाली को जोगिंदर नगर और बरोट घाटी के बीच परिवहन और पर्यटन के विकल्प के तौर पर लगभग नजरअंदाज ही कर दिया गया है.

इतिहास बनने के कगार पर खाड़ी है यह ट्राली ट्रेन प्रणाली

शानन से विन्च कैंप तक अभी भी हफ्ते में एकाध- बार ट्राली चलती है. शानन से 18 नम्बर तक लाइन और ट्राली अभी ठीक-ठाक हालत में है लेकिन 18 नंबर से विंच कैंप तक वाली लाइन और ट्राली जैसे-तैसे बस ढो रही है. ट्राली की हालत काफी खस्ता है.

जगह -जगह से टूट चुकी है रेल लाइन

विंच कैंप से बरोट के बीच की रेल लाइन जगह जगह से टूट चुकी है. कई हिस्से गायब हो चुके हैं और कई हिस्से भू-स्खलन से दब गये हैं या बर्बाद हो चुके हैं. अब शायद ही कभी इस विंच कैंप से बरोट के इस रूट पर यह ट्राली चल पाए. चूंकि यह बिजली परियोजना अभी पंजाब सरकार के अधीन है पंजाब सरकार इस प्रणाली के रख-रखाव में कोई दिलचस्पी नहीं दिखा रही है.

सरकार ने किया नजरअंदाज

पिछली सारी हिमाचल सरकारें भी आँखे मूंदें इस प्रणाली के पतन को देखती रही. सरकार इस शानदार प्रणाली को पर्यटन की दृष्टि से उपयोग करना तो दूर इस प्रणाली को जिंदा रख पाने में भी नाकाम हो रही है. जनता के स्थानीय प्रतिनिधि यानि नेतागण भी इस बारे में कोई भी मांग उठाने में नाकामयाब रहे हैं.

विंच कैंप से बरोट के बीच की लाइन लगभग बर्बाद हो चुकी है (नीचे देखें 2 चित्र)

100 साल पहले हुए कार्य की अनदेखी

हैरानी की बात नहीं यदि निकट भविष्य में यह प्रणाली बीते दिनों की बात हो जाए.  अंग्रेज जो काम सौ साल पहले कर गये हम उसे दुरुस्त रखने में भी नाकाम रहे हैं, इस तरह की प्रणाली बनाना तो दिन में सपने देखने के समान है. कुछ यदि कुछ संगठन आगे आयें तो इस प्रणाली को विश्व धरोहर सूची में शामिल करने के प्रयास किये जा सकते है. यदि ऐसा हो पाया तो हम अपनी आने वाली पीढ़ियों के लिए इस महान और अद्भुत प्रणाली की विरासत छोड़ सकते हैं. अन्यथा वो दिन दूर नहीं जब यह प्रणाली किस्से कहानियों की बात बन कर रह जायेगी.

अब 18 नम्बर तक ही चलती है ट्रॉली

वर्तमान समय में ढुलाई वाहन ट्रॉली (Haulage Way System) यदा कदा ही चलती है. आजकल ट्रॉली दिन में दो बार शानन स्थित आधार स्थल से अठारह नम्बर तक चलती है. यह आधार स्थल से विन्च कैंप तक सप्ताह में एक बार चलती है.

(Haulage Way System – Video)

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