हिमाचल प्रदेश के पंचायत चुनाव में बदल जाएगा आरक्षण रोस्टर

हिमाचल प्रदेश के पंचायत चुनाव में आरक्षण रोस्टर बदला गया है। कैबिनेट में हुए फैसले के बाद पंचायती राज विभाग ने नियमों में संशोधन की अधिसूचना जारी कर दी है।

अधिसूचना के मुताबिक अब 2010 वाला आरक्षण रोस्टर लगेगा, यानी ऐसा माना जाएगा कि पंचायत चुनाव प्रथम बार संचालित किया जा रहे हैं। यह फैसला इससे पहले मंत्रिमंडल ने लिया था।

इसके बाद अब पंचायत चुनाव में आरक्षण का क्रम बदल जाएगा और शुरू से सारी प्रक्रिया आरंभ होगी। पंचायती राज विभाग के सचिव ने इसके बारे में संशोधित ड्राफ्ट जारी किया है।

पंचायती राज विभाग ने नियमों में संशोधन की अधिसूचना के अनुसार हिमाचल प्रदेश पंचायती राज अधिनियम, 1994 (1994 का अधिनियम संख्यांक 4) की धारा 183 और 186 द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए, हिमाचल प्रदेश पंचायती राज (निर्वाचन) नियम, 1994 में और संशोधन करने के लिए नियम ड्राफ्ट जारी किया जा रहा है।

पंचायती राज विभाग के प्रस्तावित नियमों को लेकर अगर किसी का कोई आक्षेप या सुझाव हो तो वह उसे उन्हें 15 दिन की अवधि के भीतर निदेशक, पंचायती राज, हिमाचल प्रदेश एसडीए काम्प्लेक्स कुसुम्पटी, शिमला 171009, को भेज सकते हैं।

राज्य सरकार की तरफ से शहरी विकास विभाग के प्रधान सचिव देवेश कुमार ने सभी जिलों के उपायुक्तों को चि_ी लिखकर आरक्षण रोस्टर जारी न करने या फाइनल न करने के निर्देश दिए।

इसके लिए जनगणना के ताजा आंकड़े न होने को वजह बताया गया। राज्य सरकार के पास जनगणना का 15 साल पुराना डाटा है, जबकि सरकार का मत है कि शहरी क्षेत्र में आबादी का गणित डायनेमिक है और बहुत जल्दी बदल जाता है, इसीलिए आरक्षित वर्गों की संख्या का सही तरीके से पता करना जरूरी है।

उपायुक्तों को कहा गया कि इन परिस्थितियों को देखते हुए अनुसूचित जाति, जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग का आरक्षण रोस्टर न तो जारी किया जाए और न ही फाइनल किया जाए, जब तक की जनगणना का डाटा अपडेट या आधिकारिक रूप से जारी नहीं हो जाता। राज्य सरकार के इस कदम को राज्य निर्वाचन आयोग ने प्रतिकूल तरीके से लिया।

राज्य चुनाव आयुक्त अनिल खाची की ओर से आयोग के सचिव सुरजीत सिंह राठौर ने इस बारे में मुख्य सचिव को पत्र लिख दिया। इसमें यह कहा गया है कि शहरी विकास विभाग के प्रधान सचिव तुरंत अपने पत्र को वापस लें।

आयोग ने कहा है कि चुनाव करवाने और आरक्षण रोस्टर लगवाने की शक्तियां भारतीय संविधान और हिमाचल प्रदेश म्युनिसिपल एक्ट 1994 के तहत आयोग के पास निहित हैं।

उनके अनुसार 2011 की जनगणना के आधार पर भी चुनाव करवाए जा सकते हैं। हिमाचल प्रदेश म्युनिसिपल एक्ट की धारा 281 के तहत भी यह अधिकार स्टेट इलेक्शन कमीशन का है, इसलिए मुख्य सचिव यह सुनिश्चित करें कि शहरी विकास विभाग के पत्र को वापस कर इस बारे में अनुपालना रिपोर्ट आयोग को दी जाए।

राज्य चुनाव आयोग ने यह भी कहा है कि शहरी विकास विभाग के पास रोस्टर स्थगित करने की कोई संवैधानिक अथॉरिटी नहीं है।

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