कुल्लू/पतलीकूहल: लाहौल-स्पीति विश्व में अपना महत्वपूर्ण स्थान रखता है। यहां कई बौद्ध मंदिर व झीलें सदियों से विराजमान हैंं। यह क्षेत्र कई रहस्यों को अपने गर्भ में समाए हुए है। इनमें से एक है कुंजुम दर्रा में स्थित माता कुंजुम का भव्य मंदिर।
दर्रा पार करने को लेते हैं आशीर्वाद
कुंजुम हिमालय का एक प्रमुख दर्रा है जो लाहौल-स्पीति घाटी को आपस में जोड़ता है। इसकी ऊंचाई 4590 मीटर है, जहां पर दैवीय चमत्कार का साक्षात प्रमाण मिलता है। कुंजुम देवी यहां की अधिष्ठात्री देवी हैं। इस दर्रे को पार करने वाले करीब सभी वाहन कुंजुम माता के बिना आशीर्वाद लिए दर्रा पार नहीं करते हैं।
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इस मंदिर की एक बड़ी खासियत यह है कि इस मंदिर में भक्तों को यह भी पता चल जाता है कि उनकी मन्नत पूरी हुई या नहीं। मान्यता है कि सच्चे मन से मांगी गई मन्नत यहां जरूर पूरी होती है। लोग यहां पूजा करते हैं और बीच में रखी माता कुंजुम की मूर्ति के आगे मन्नत मांगते हैं।
सिक्का चिपका तो मन्नत पूरी
इसके बाद माता की मूर्ति में एक सिक्का चिपकाने का प्रयास करते हैं। अगर सिक्का मूर्ति के साथ तत्काल चिपक गया तो समझो आपकी मन्नत पूरी हो गई है। इस मंदिर में कई विदेशी पर्यटक भी अपनी मन्नत पूरी करने के लिए सिक्के चिपकाते हैं। कहते हैं कि मन में खोट हो तो बार-बार चिपकाने से भी नहीं चिपकता है।
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मंदिर का रखरखाव कर रही लोसर गांव की कमेटी के सदस्य एवं पूर्व पंचायत प्रधान दोरजे छोपेल का कहना है कि आए दिन सुंदर व चौड़ी सड़कों में दुर्घटनाएं देखने को मिल रही हैं लेकिन देवी-देवताओं और लामाओं की इस पवित्र धरती में माता कुंजुम की ही अपार कृपा का ही परिणाम है कि यहां सभी राहगीर सुरक्षित अपनी मंजिल में पहुंच रहे हैं।
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स्रोत : पंजाब केसरी