इस बार देवी-देवताओं और डायनों के बीच हुए सात युद्धों में डायनों की जीत हुई है। माना जाता है कि डायनों की जीत होने से अगले एक वर्ष फसलें अच्छी होंगी और महामारी के प्रकोप से भी जनता बचेगी, लेकिन भूकंप, भूस्खलन, बाढ़ और बड़ी दुर्घटनाओं में जानमाल का नुकसान बड़े स्तर पर होता है।
बगलामुखी माता के गुर अमरजीत शर्मा ने बताया कि इस बार भी देवताओं और डायनों के बीच विभिन्न क्षेत्रों में युद्ध हुए। पहला युद्ध समुद्र के टापू पर तथा अंतिम युद्ध द्रंग के घोघधार नामक स्थान पर हुआ। इस बार तीन युद्धों तक देवता व डायनें युद्ध में बराबर थीं।
अंतिम युद्ध जब बराबरी पर रहा था, तो अंतिम युद्ध घोघरधार में हुआ, जिसमें डायनों की जीत बताई गई। माता के गुर अमरजीत शर्मा ने बताया कि देवताओं पर डायनें भारी रहीं। आने वाला समय प्राणी मात्र के लिए अच्छा नहीं रहेगा।
क्षेत्र में आपदा आना, भूकंप होना, जानमाल का नुकसान होना आदि घटनाएं घटित होती रहेंगी। माता ने भक्तों की सुरक्षा के लिए अपना कवच आशीर्वाद प्रदान करते हुए आपदा से बचाने का आशीष दिया।
वहीं मंगलवार को तुंगल क्षेत्र के प्रसिद्ध शक्तिपीठ माता बगलामुखी मंदिर सेहली में 68वीं वार्षिक जाग का आयोजन हुआ। माता बगलामुखी के गुर अमरजीत शर्मा ने माता की पूजा-अर्चना की तथा उसके बाद मां द्वारा बताए गए आदेशानुसार पूजा पद्धति को पूर्ण किया।
अर्धरात्रि को माता के गुर ने अनेक प्रकार की देववाणी करके भक्तों का मार्ग दर्शन किया। मंदिर में भंडारे का आयोजन हुआ। माता की जाग में हजारा ठाकुर भजन मंडली साईंगलू ने रात भर एक से बढक़र एक भेंटें गाकर मां की महिमा का गुणगान किया।
उधर माँ चतुर्भुजा मंदिर में भी जो लोग लागत पर हैं उनके नाम पुकारे गए हैं और उनकी लिस्ट गाँव के अनुसार ज़ारी की गई है।
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