पुरानी समयसारिणी के अनुसार चलें रेलगाड़ियाँ

जोगिन्दरनगर : पठानकोट-जोगिन्दरनगर रेलमार्ग पर कोरोना काल से पहले की समयसारिणी को बहाल करने की जोरदार मांग उठने लगी है। पठानकोट-जोगिन्दरनगर रेलमार्ग पर सात रेलगाड़ियाँ पठानकोट से जोगिन्दरनगर के लिए चलती हैं, जबकि सात रेलगाड़ियाँ जोगिन्दरनगर से पठानकोट के लिए चलती हैं। उक्त रेलमार्ग पर अभी छह-छह रेलगाडिय़ां चल रही हैं। पठानकोट से सुबह चार बजे जोगिन्दरनगर को चलने वाली रेलगाड़ी अभी तक नहीं चल पाई है।

बुद्धिजीवियों सुजान सिंह, रवि कुमार, दिनेश नीखिल, राजिंद्र कौंडल, पंकज डोगरा, लक्की कुमार, पंडित विपन शर्मा, राम कुमार व हरदीप सिंह इत्यादि ने कहा कि हमारे क्षेत्रों के लोग स्वास्थ्य सुविधा के लिए टांडा अस्पताल पर निर्भर करते हैं, जिनको सुबह चार बजे पठानकोट से चलने वाली रेलगाड़ी काफी सुविधाजनक है.

यह रेलगाड़ी करीब दस बजे तक मरीजों को कांगड़ा में पहुंचा देती है। इस रेलगाड़ी से मरीज समय पर चिकित्सा सुविधा लेकर वापस आ जाते हैं, परंतु सुबह चार बजे चलने वाली रेलगाड़ी नहीं चल रही है, जिससे लोगों को काफी परेशानी होती है।

काँगड़ा घाटी से गुजरती काँगड़ा क्वीन

बुद्धिजीवियों ने कहा कि पठानकोट से पहली रेलगाड़ी छह बजे जोगिंद्रनगर के लिए निकलती है, जो कि बाद दोपहर कांगड़ा में पहुंचाती है, जिससे मरीजों को वापस आने में कोई सुविधा नहीं मिल पाती है। बुद्धिजीवियों ने कहा कि सुबह चार बजे चलने वाली रेलगाड़ी को जल्द ही बहाल करने की बात रेल मंत्रालय द्वारा कही गई थी, लेकिन अभी तक यह बहाल नहीं हो पाई है।

अंग्रेजों के जमाने का 163 किलोमीटर लंबा निर्मित पठानकोट-जोगिन्दरनगर रेलमार्ग हमेशा ही अनदेखी का शिकार रहता है, जबकि जिला कांगड़ा की अधिकतर पंचायतों के लोगों को आने-जाने के लिए यह रेलमार्ग सुविधाजनक है। इसके अलावा यह रेलमार्ग पंजाब को हिमाचल प्रदेश के साथ जोड़ता है।

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