शिक्षा विभाग में 6500 और जलशक्ति विभाग में भरे जाएंगे 4500 पद

हिमाचल सरकार मार्च से पहले 20 हजार से ज्यादा भर्तियां करेगी। इनमें सबसे ज्यादा पद शिक्षा विभाग में भरे जाने हैं। सरकार ने 6500 पदों पर टीजीटी अध्यापकों की भर्ती की तैयारी की है, जबकि वन विभाग में दो हजार से ज्यादा वनमित्रों के पद भरे जाने हैं।

वन मित्र की भर्ती प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। इसके अलावा 4500 पद जलशक्ति विभाग, 984 पद पटवारी और 800 पद स्टाफ नर्सों के भरे जाएंगे।

वहीं मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि भर्तियों को लेकर राज्य सरकार ने तैयारियां पूरी कर ली हैं। शिक्षा विभाग में राज्य सरकार गुणवत्ता लाने का प्रयास कर रही है और इसमें अध्यापकों के खाली पदों की समस्या को दूर करने के लिए क्लस्टर के आधार पर स्कूलों को जोड़ा जाएगा।

इसके अलावा राज्य सरकार गेस्ट फेकल्टी पॉलिसी के आधार पर भी काम कर रही है।

मुख्यमंत्री ने कहा है कि रोजगार के अवसर प्रदान करना राज्य सरकार का दायित्व है और इस पर सरकार तेजी से काम कर रही है। उन्होंने कहा कि युवाओं का भविष्य उज्जवल करना चाहते हैं, तो अभी फैसला लेने का समय है।

इन फैसलों की वजह से पांच साल में अर्थव्यवस्था पटरी पर आएगी और दस साल में हिमाचल देश का सबसे अमीर राज्य होगा।

मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार पर 86 हजार करोड़ का कर्ज है। राज्य सरकार ने आर्थिक हालत को पटरी पर लाने का प्रयास किया है और इस संबंध में उठाए गए कदमों की वजह से प्रदेश की अर्थव्यवस्था 20 प्रतिशत पटरी पर लौट आई है।

उन्होंने कहा कि पूर्व सरकार पेंशन भोगी कर्मचारियों को छठे पे-कमीशन की एरियर नहीं दिया। इसका भुगतान भी अब मौजूदा सरकार को करना होगा।

मुख्यमंत्री ने कहा कि भाजपा ने आपदा के समय कोई साथ नहीं दिया। आपदा प्रभावितों के साथ भाजपा खड़ी नहीं हुई।

मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने पावर प्रोजेक्ट संचालकों को दो टूक चेतावनी दी है। मुख्यमंत्री का कहना है कि प्रोजेक्ट संचालक या तो सरकार की बात मानें या फिर सरकार इन प्रोजेक्ट का अधिग्रहण कर लेगी।

उन्होंने कहा कि पावर प्रोजेक्ट में न तो प्रदेश को लाडा मिल रहा है और न ही जीएसटी का लाभ मिल पा रहा है। उन्होंने कहा कि हिमाचल में लगाए गए प्रोजेक्ट का प्रदेश को कोई फायदा नहीं मिल रहा था।

राज्य सरकार ने इस फैसले को बदला। रायलटी को 12 प्रतिशत पहले 12 साल, 12 से 30 साल तक 30 प्रतिशत और 40 साल बाद प्रोजेक्ट वापस करते हैं तो समझौता होगा नहीं तो लूरी, सुन्नी और धौलासिद्ध प्रोजेक्ट का सरकार अधिग्रहण कर लेगी। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि सरकार चलाने को पैसे की जरूरत है।

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