देश के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने हिमाचल विधानसभा के स्वर्ण जयंती विशेष सत्र को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने सदन में कोरोना की लड़ाई हिमाचल के प्रयासों की जमकर सराहना की और कहा कि पहाड़ी राज्य ने वैक्सीन की पहली डोज लगाने में देश में पहला स्थान हासिल किया है। यानी कि कोरोना के खिलाफ युद्ध में हिमाचल चैंपियन बनकर उभरा है। महामहिम ने सदन में आह्वान किया कि हिमाचल एक दिन देश का सिरमौर बनेगा। राष्ट्रपति ने कहा कि पूर्व मुख्यमंत्रियों यशवतं सिंह परमार, ठाकुर राम लाल, शांता कुमार, वीरभद्र सिंह और प्रेम कुमार धूमल के प्रयासों से हिमाचल विकास के पथ पर अग्रसर है।
इससे पहले विधानसभा अध्यक्ष विपिन परमार ने सदन को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति का प्रदेश में आने के लिए आभार जताया। राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर, मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर, नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री ने भी सदन को संबोधित किया। अपने संबोधन के दौरान राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने पहले परमवीर चक्र विजेता मेजर सोमनाथ शर्मा, कारगिल शहीद कैप्टन ब्रिकम बतरा को भी याद किया, वहीं अटल टनल रोहतांग का जिक्र करते हुए महामहिम कोविंद ने कहा कि इससे मनाली-लेह की दूरी कम हुई है, वहीं सेना को सालभर बॉर्डर तक रसद ले जाने में अब दिक्कतों का सामना नहीं करना पड़ रहा।
उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश द्वारा पूर्ण राज्य का दर्जा प्राप्त करने की स्वर्ण जयंती से जुड़े विधानसभा के इस विशेष सत्र को संबोधित करते हुए मुझे हार्दिक प्रसन्नता हो रही है। लोकतंत्र के इस उत्सव के अवसर पर हिमाचल प्रदेश के विकास में योगदान देने वाले आप सभी महानुभावों के साथ-साथ, मैं प्रदेश के लगभग 70 लाख निवासियों को, पूरे देश की ओर से, बधाई देता हूं। यह वर्ष हिमाचल प्रदेश तथा पूरे देश के निवासियों के लिए विशेष हर्ष और उल्लास से परिपूर्ण है। इसी वर्ष हम सब स्वाधीनता की 75वीं वर्षगांठ के उपलक्ष में ‘आजादी का अमृत महोत्सवÓ मना रहे हैं और साथ ही हिमाचल प्रदेश राज्य की स्थापना की स्वर्ण जयंती भी मना रहे हैं।
यह ‘काउंसिल चैंबर भवनÓ तथा परिसर, आधुनिक भारत की अनेक महत्वपूर्ण घटनाओं के साक्षी रहे हैं। इसी भवन में श्री वि_ल भाई पटेल ने सन 1925 में ब्रिटिश प्रत्याशी को हराकर सेंट्रल लेजिस्लेटिव असेंबली के अध्यक्ष का चुनाव जीता था। इस सत्र में प्रतिपक्ष के नेता का संबोधन होना आपकी परिपक्व लोकतांत्रिक संस्कृति का अनुकरणीय उदाहरण है। इस स्वस्थ परंपरा के बीज आप के पूर्ववर्ती जन-नायकों द्वारा संचालित आज़ादी की लड़ाई, और उसके बाद पूर्ण राज्यत्व के लिए सर्वथा संवैधानिक तरीके से संचालित आंदोलन में निहित थे।
‘पहाड़ी गांधीÓ के नाम से विख्यात, कांगड़ा के बाबा कांशीराम जैसे स्वाधीनता सेनानियों ने ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ शांतिपूर्ण सत्याग्रह किया और अपने जीवन के अनेक वर्ष कारावास में बिताए। संविधान-सम्मत मार्ग पर चलते हुए डॉक्टर यशवंत सिंह परमार, पंडित पदम देव, श्री शिवानंद रामौल तथा अन्य जन-सेवकों ने पहाड़ी क्षेत्रों के एकीकरण और हिमाचल प्रदेश की स्थापना के संघर्ष को आगे बढ़ाया था।
हिमाचल प्रदेश में स्वस्थ लोकतान्त्रिक परंपरा का निर्माण करने वाले विगत विधानसभाओं के सदस्यों तथा उसको मजबूत बनाने वाले आप सभी विधायकों को मैं साधुवाद देता हूं। उनमें से बहुत से लोग आज हमारे बीच नहीं हैं। लोकतंत्र के उन सेवकों की स्मृति को, मैं सभी देशवासियों की ओर से नमन करता हूं। राष्ट्रपति ने कहा- इस क्षेत्र के जन-जन में व्याप्त लोकतान्त्रिक चेतना के कारण ही शायद यह ऐतिहासिक संयोग बना कि स्वतंत्र भारत के पहले चुनाव का पहला वोटर होने का श्रेय हिमाचल प्रदेश के ही श्री श्याम सरन नेगी जी को जाता है। उन्हें भारतीय निर्वाचन आयोग ने 2014 के लोकसभा चुनाव में ब्रांड एंबेसेडर बनाया था। मुझे बताया गया है कि सौ वर्ष से अधिक आयु के श्री नेगी जी आज भी सक्रिय हैं और एक सजग मतदाता के रूप में उनका उदाहरण राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा भी प्रस्तुत किया जाता है।
हिमाचल प्रदेश सरकार द्वारा प्रदेश की विकास-यात्रा को जन-मानस तक पहुंचाने की पहल अत्यंत सराहनीय है। हिमाचल प्रदेश ने विभिन्न क्षेत्रों में विकास के नए आयाम स्थापित किए हैं। नीति आयोग की एक रिपोर्ट के अनुसार सतत विकास लक्ष्य – इंडिया इंडेक्स 2020-21 में हिमाचल प्रदेश देश में दूसरे नंबर पर है। हिमाचल प्रदेश कई मापदण्डों पर देश में अग्रणी राज्य है। इसके लिए मैं राज्यपाल राजेंद्र आर्लेकर, मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर एवं हिमाचल प्रदेश सरकार की पूरी टीम को साधुवाद देता हूं।देववाणी संस्कृत के साहित्य में देवभूमि हिमाचल की प्रशस्ति के अनेक उद्धरण प्राप्त होते हैं। हमारी लोक-परंपरा में इस क्षेत्र को महादेव शंकर और देवी पार्वती से जुड़ा माना गया है। एक बहुत प्रचलित प्रार्थना है:—
हिमाचल-सुता-नाथ-संस्तुते परमेश्वरि।
रूपं देहि, जयं देहि, यशो देहि, द्विषो जहि। अर्थात हिमालय की कन्या पार्वती के पति, भगवान शंकर के द्वारा प्रशंसित होने वाली, हे परमेश्वरी! सभी लोगों को रूप, विजय और यश प्रदान कीजिए, शत्रु के समान विद्यमान कुवृत्तियों का नाश कीजिए। मैं यही प्रार्थना, लोकतन्त्र के इस पावन मंदिर में, हिमाचल प्रदेश के निवासियों तथा सभी देशवासियों के कल्याण के लिए करता हूं। कोविड महामारी का सामना करने में हिमाचल प्रदेश ने देश में सबसे पहले वैक्सीन की पहली डोज़ शत-प्रतिशत आबादी को लगाने का कीर्तिमान स्थापित किया है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा दिए गए साधुवाद को मैं अक्षरश: साझा करना चाहूंगा कि हिमाचल प्रदेश इस महामारी के विरुद्ध लड़ाई में चैंपियन बन कर सामने आया है। इसके लिए हिमाचल प्रदेश के सभी कोरोना वॉरियर्स की मैं सराहना करता हूं। श्रद्धेय अटल बिहारी वाजपेयी जी को हिमाचल प्रदेश से गहरा लगाव था।
इसे वे अपना घर ही मानते थे। उन्होंने हिमाचल को विशेष औद्योगिक पैकेज प्रदान किया था, जिससे राज्य में निवेश को बढ़ावा मिला। उन्होंने ही 2002 में उस परियोजना की आधारशिला रखी थी जो आज ‘अटल टनल के नाम से, दुनिया की सबसे लंबी राजमार्ग-टनल के रूप में, स्थापित है। इससे हिमाचल और लेह-लद्दाख के हिस्से, देश के अन्य क्षेत्रों से सदैव जुड़े रहेंगे और वहां के लोगों का तेजी से आर्थिक विकास होगा।
मेरे लिए यह सुखद संयोग है कि हिमाचल की धरती मुझे लगभग 45 वर्षों से आकर्षित करती रही है। मैं पहली बार 1974 में हिमाचल प्रदेश के कुल्लू-मनाली क्षेत्र में आया था और उसके बाद कई बार इस प्रदेश में आना होता रहा है। सार्वजनिक-जीवन से जुड़े अनेक कार्यक्रमों में भाग लेने के लिए भी हिमाचल प्रदेश आने का अवसर मुझे मिलता रहा था। यहां की प्राकृतिक सुंदरता, लोगों की कर्मठता, सरलता व अतिथि सत्कार ने मेरे मानस-पटल पर गहरी छाप छोड़ी है। हिमाचल प्रदेश की प्रत्येक यात्रा, मुझ में एक नई स्फूर्ति का संचार करती है।