हिमाचल के सरकारी स्कूलों को समाज के प्रतिष्ठित लोग गोद ले सकेंगे। राज्य सरकार इन स्कूलों के लिए पहली बार एक एडॉप्शन पॉलिसी बना रही है। शिक्षा सचिव राकेश कंवर ने इसका कैबिनेट नोट तैयार करने को कहा है और मंत्रिमंडल की आगामी बैठक में इसे कैबिनेट के सामने रखा जा रहा है।
इस योजना का मकसद सरकारी स्कूलों में एक्सपोजर बढ़ाना है। जो व्यक्ति किसी स्कूल को अडॉप्ट करेंगे, उन्हें उसे स्कूल का पैटर्न बनाया जाएगा। इनके साथ न सिर्फ स्कूली बच्चों का इंटरेक्शन होगा, बल्कि ऐसे लोग स्कूल के विकास में भी योगदान दे पाएंगे।
चाहे व्यक्ति राजनेता हो या अधिकारी या फिर निजी क्षेत्र में किसी पद पर, वह अपनी पसंद के स्कूल को अडॉप्ट कर सकता है। स्कूल की आर्थिक मदद के लिए यदि कोई विकल्प है, तो उसे भी लिया जा सकता है।
इसी स्कीम के साथ शिक्षा विभाग के उपनिदेशकों और अन्य फील्ड अधिकारियों को भी जोड़ा जा रहा है। स्कूलों के विजिट के लिए उनकी भी जिम्मेदारी तय होगी। राज्य सरकार यह कदम क्वालिटी एजुकेशन की तरफ आगे बढ़ाने के लिए ले रही है।
इससे पहले तकनीकी शिक्षा में आईटीआई और पॉलिटेक्निक के साथ इंडस्ट्री के लोगों को जोड़ा गया है। इसी तरह रोजगार और स्वरोजगार की भावना पैदा करने की कोशिश स्कूलों में भी होगी। राज्य में अभी 15000 से ज्यादा सरकारी स्कूल हैं और इनमें से 10500 सिर्फ प्राइमरी स्कूल हैं।
यह स्कीम हाई और सीनियर सेकेंडरी स्कूलों के लिए होगी। इससे पहले पूर्व भाजपा सरकार में ‘अखंड शिक्षा ज्योति-मेरे स्कूल से निकले मोती’ नाम से एक योजना लागू की गई थी, जिसमें उस स्कूल में पढ़े हुए उन बच्चों का नाम नोटिस बोर्ड पर लगाने की प्रथा थी, जिन्होंने जीवन में नाम कमाया है।
हालांकि स्कूल एडॉप्शन पॉलिसी इससे पूरी तरह अलग होगी। शिक्षा सचिव राकेश कंवर ने बताया कि मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू और शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर के निर्देश के बाद कुछ नए कदम शिक्षा विभाग में उठाए जा रहे हैं।
स्कूल एडॉप्शन स्कीम भी इसमें से एक है। अभी सिर्फ ड्राफ्ट बना है। राज्य सरकार ही इस पर अंतिम फैसला लेगी।