हिमाचल सरकार न्यू पेंशन स्कीम को खत्म करने के लिए ओल्ड पेंशन की व्यवस्था बैक डेट से कर सकती है। यह इसलिए संभव है, क्योंकि राज्य के वित्त विभाग ने इसका एक फार्मेट तैयार किया है। इसके अनुसार 2003 से 2022 तक रिटायर हुए 13000 से ज्यादा कर्मचारियों को एनपीएस का पैसा सरेंडर करने का विकल्प दिया जाएगा।
ऐसे कर्मचारियों को हालांकि बैक डेट से जीपीएफ की सुविधा नहीं मिलेगी। राज्य के वित्त विभाग ने नियंत्रक महालेखा परीक्षक कार्यालय से भी इस बारे में चर्चा पूरी कर ली है। कैग का कहना है कि जीपीएफ अकाउंट खोलने की सुविधा सिर्फ करंट डेट से दी जा सकती है।
जो कर्मचारी रिटायर हो चुके हैं, उनके लिए यह सुविधा नहीं होगी। यह भुगतान करने के लिए भी राज्य सरकार को अपने बजट का इस्तेमाल करना पड़ेगा। वर्तमान में 1.18 लाख कर्मचारी एनपीएस के तहत हैं, जिन्हें ओल्ड पेंशन में शिफ्ट किया जाएगा।
कंट्रीब्यूशन के तौर पर भारत सरकार या पीएफआरडीए में गए पैसे को वापस लेने के लिए राज्य सरकार ने पत्र भी लिखा है, लेकिन यह पत्र इसलिए लिखा गया है, ताकि एनपीएस कंट्रीब्यूशन बंद करने का आधार तैयार किया जा सके। राज्य के अतिरिक्त मुख्य सचिव वित्त प्रबोध सक्सेना ने बताया कि ओल्ड पेंशन रिस्टोर करना सरकार की कमिटमेंट है।
अब तक किसी भी राज्य को एनपीएस कंट्रीब्यूशन वापस नहीं लौटाया गया है। हमें यह लग रहा है कि हमें भी इसी तरह का जवाब आएगा, लेकिन फिर भी भारत सरकार को इस बारे में पत्र लिखा गया है। वहां से आने वाले जवाब के आधार पर अगला फैसला लेने में मदद मिलेगी।
उन्होंने कहा कि एनपीएस कंट्रीब्यूशन को बंद करने का फैसला सरकार ने लेना है। जैसे ही कैबिनेट यह फैसला ले लेगी, हम कंट्रीब्यूशन बंद कर देंगे। मुख्यमंत्री चाहते हैं कि यह कैबिनेट का कलेक्टिव डिसीजन हो।
कैबिनेट में तय होगा फार्मेट
हिमाचल सरकार ओल्ड पेंशन को किस रूप में बहाल करेगी, अब भी इस सवाल का जवाब नहीं मिला है। वित्त विभाग की तैयारी के मुताबिक सभी विकल्प कैबिनेट में ही रखे जाएंगे और कैबिनेट को ही इनमें से कोई एक रास्ता चुनना है।
मुख्यमंत्री को वित्त विभाग ने राज्य की वित्तीय स्थिति से अवगत करवा दिया है और एनपीएस कर्मचारी संघ के साथ बैठक में भी मुख्यमंत्री ने फाइनांशियल लिमिटेशंस की बात कही थी। ओल्ड पेंशन को लागू करने से तीन साल बाद से इसका वित्तीय प्रभाव आना शुरू होगा।