कानूनी अड़चनों पर सलाह के लिए विधि विभाग पहुंची ओल्ड पेंशन बहाली की फाइल

हिमाचल में करीब 20 साल की अवधि के बाद ओल्ड पेंशन को दोबारा बहाल करने के लिए राज्य सरकार ने एक कदम और आगे बढ़ाया है। 13 जनवरी को पहली कैबिनेट में हुए इस फैसले के बाद वित्त विभाग के पेंशन विंग ने कुछ क्लेरिफिकेशन के लिए फाइल विधि विभाग को भेज दी है।

इस ड्राफ्ट में अभी न तो स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर यानी एसओपी है और न ही नए पेंशन रूल्स हैं, लेकिन विधि विभाग से क्लेरिफिकेशन आने के बाद पेंशन रूल्स ड्राफ्ट होंगे।

वित्त विभाग ने पूछा है कि न्यू पेंशन स्कीम से ओल्ड पेंशन स्कीम में शिफ्ट करने को लेकर जो कानूनी अड़चनें हैं, उन्हें कैसे एड्रेस किया जाएगा? भारत सरकार से एनपीएस कंट्रीब्यूशन को लेकर हिमाचल सरकार द्वारा किए गए एग्रीमेंट की शर्तों का असर क्या होगा, इस बारे में भी जानकारी मांगी गई है।

राज्य सरकार एनपीएस से ओपीएस में शिफ्ट होने के लिए कर्मचारियों को विकल्प देगी। लेकिन भारत सरकार में जा चुके पैसे को लेकर स्पष्टता न होने के कारण इसके कानूनी पहलुओं पर विचार करना पड़ रहा है। कंट्रीब्यूशन के तौर पर गई धनराशि लगभग 7800 करोड़ है।

राज्य सरकार की ज्यादा चिंता 14 फीसदी सरकारी अंशदान की है। खासकर उस स्थिति में, जब राज्य सरकार एकतरफा फैसले से एग्रीमेंट को तोड़े और कंट्रीब्यूशन को बंद कर दे।

इन सारी गतिविधियों से एक बात साफ है कि हिमाचल में ओल्ड पेंशन अब पूरी तरह नए वित्त वर्ष यानी कि पहली अप्रैल, 2023 से ही लागू हो पाएगी। तब तक राज्य सरकार कंट्रीब्यूशन भी बंद नहीं करेगी।

राज्य के 1,36,000 कर्मचारी ओल्ड पेंशन को लेकर नोटिफिकेशन का इंतजार कर रहे हैं। इससे पहले सरकार ने सिर्फ ऑफिस मेमोरेंडम जारी किया था, जो सिर्फ भारत सरकार को नई राज्य सरकार की कैबिनेट के फैसले से अवगत करवाने के लिए था।

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