शानन परियोजना मामले में अब तीसरे राज्य की एंट्री

जोगिन्दरनगर : मंडी जिला के जोगिन्दरनगर स्थित शानन हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट पर सुप्रीम कोर्ट में अब पंजाब के साथ पड़ोसी राज्य हरियाणा भी कूद गया है।

हरियाणा ने तर्क दिया है कि वह पंजाब रीऑर्गेनाइजेशन एक्ट का हिस्सा रहा है, इसलिए उनकी बात भी इस विवाद में सुनी जाए।

सुप्रीम कोर्ट में हुई सुनवाई के दौरान हालांकि हिमाचल ने हरियाणा की इस मांग को अनुचित बताते हुए कहा कि शानन हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट एरिया कभी भी ट्रांसफर टेरिटरी का हिस्सा नहीं रहा है, इसलिए हरियाणा का इसमें कोई लोकस स्टैंडआई नहीं है।

हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने अगली सुनवाई के लिए जनवरी में केस सुनने को कहा। गौरतलब है कि बीबीएमबी एरिया मामले में भी पंजाब और हरियाणा हिमाचल के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में हैं।

अब के देख रहे हिमाचल के अधिकारियों को लग रहा है कि शानन हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट मामले में हरियाणा को सिर्फ केस उलझाने के लिए बीच में लाया गया है। इससे पहले इस केस में हिमाचल सरकार ने पंजाब सरकार की याचिका के आधार को ही रद्द करने का आवेदन डाला हुआ है।

पंजाब को सिर्फ चलाने के लिए ट्रांसफर किया था प्रोजेक्ट
शानन प्रोजेक्ट का लीज एग्रीमेंट साल 1925 में मंडी के राजा और तब की केंद्र सरकार के बीच हुआ था। पंजाब को यह प्रोजेक्ट सिर्फ चलाने के लिए ट्रांसफर किया था, क्योंकि हिमाचल पूर्ण राज्य नहीं था और हिमाचल में बिजली बोर्ड भी अलग से नहीं था। यह लीज एग्रीमेंट दो मार्च, 2024 को पूरा हो गया है।

हिमाचल ने सुप्रीम कोर्ट में कहा है कि पंजाब इस लीज एग्रीमेंट में भी सिग्नेटरी नहीं है, इसलिए भूमि के असल मालिक के खिलाफ संविधान के अनुच्छेद का इस्तेमाल करते हुए केस नहीं किया जा सकता।

अब तक इस मामले में पंजाब हिमाचल के तर्कों का जवाब नहीं दे पाया है, लेकिन अब हरियाणा को बीच में लाया गया है। 110 मेगावाट के शानन हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट की लीज अवधि पूरा होने के बाद हिमाचल को प्रोजेक्ट वापस लौटाने के बजाय पंजाब ही सुप्रीम कोर्ट गया है।

बीबीएमबी एरियर पर बैठक करेंगे अटॉर्नी जनरल
बीबीएमबी एरियर को लेकर भी सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। इसमें पंजाब ने पहले मानी गई दो शर्तों को लेकर भी कुछ आपत्ति जताई है। हिमाचल को पहले दी गई बिजली को एरियर में से काटने की मांग अब की जा रही है।

सुप्रीम कोर्ट ने अटॉर्नी जनरल को राज्यों के बीच एक और बैठक कर रिपोर्ट देने को कहा है। इस मामले की सुनवाई भी जनवरी में होगी। इससे पहले अटॉर्नी जनरल की रिपोर्ट हिमाचल के हक में सबमिट हो चुकी है।

सुप्रीम कोर्ट ने हिमाचल के पक्ष में डिक्री जारी कर रखी है, लेकिन इसे 13 साल से इंप्लीमेंट नहीं किया जा सका है।

2011 के बाद हिमाचल को बढ़ी हुई हिस्सेदारी पर बिजली मिलना शुरू हो गई है, लेकिन 1966 से भाखड़ा डैम, 1977 से डैहर परियोजना और 1978 से पौंग डैम प्रोजेक्ट से एरियर अब भी बकाया है।

पंजाब और हरियाणा इस एरियर का भुगतान नकद करने को तैयार नहीं हैं, लेकिन बिजली देने को राजी हैं। इस तरह से कुल 1300 करोड़ यूनिट बिजली हिमाचल को मिलेगी।

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