जोगिन्दर नगर।। जिस तरह से हिमाचल प्रदेश ने “राज बदलेगा, रिवाज नहीं बदलेगा” की परम्परा को क़ायम रखा है, उसी तरह जोगिन्दर नगर की जनता ने विपक्ष में बैठने का रिवाज जारी रखा है। पिछली 2 बार की तरह इस बार भी जोगिन्दर नगर के मतदाताओं ने हारी हुई पार्टी या सत्तारूढ़ दल से बाहर के उम्मीदवार को जितवा कर विधानसभा में भेजने का रिवाज क़ायम रखा है।
इसे मतदाताओं की चुनावी समझ का फेर कहें या क्षेत्र की बदक़िस्मती लेकिन आम-जन की समझ यह है कि यदि स्थानीय विधायक सत्तारूढ़ दल का हो तो हर तरह के विकास कार्य और अन्य कोई भी काम करवाने में आसानी होती है। लेकिन जोगिन्दर नगर की जनता इस विचार से इत्तेफ़ाक रखती है ऐसा पिछले तीन विधानसभा के चुनाव से नज़र नहीं आता।
पिछले तीन MLA सत्तारूढ़ पार्टी से नहीं
पिछले विधानसभा चुनाव यानि 2017 में जोगिन्दर नगर की जनता ने प्रकाश प्रेम कुमार उर्फ़ प्रकाश राणा नाम के अरबपति व्यवसायी को जितवा कर विधानसभा भेजा था। तत्कालीन राजनीति में लगभग नौसखिया प्रकाश राणा को राजनीति के दाव पेंच सीखने में पाँच साल निकल गए। अत: विधानसभा क्षेत्र में ऐसा कोई भी विकास कार्य देखने को नहीं मिला जिसे वह उपलब्धि के तौर पर गिना सकें।
हालाँकि पाँचवे साल में वह किसी तरह बीजीपी का टिकट हासिल करने में सफल हो गये। अब 2022 के विधानसभा चुनाव वह जीत भी गए हैं लेकिन व्यापक पैमाने पर विकास कार्य करवाने के लिए उन्हें फिर से कम से कम पाँच साल का इंतज़ार और करना पड़ेगा, ये तो पक्का है।
इससे पीछे जाकर सन 2012 चुनाव की बात करें तो 2012 में हिमाचल प्रदेश विधानसभा में कांग्रेस की सरकार बनी थी। इस चुनाव में जोगिन्दर नगर की जनता ने बीजेपी के ठाकुर गुलाब सिंह को चुना था। यानि विपक्ष के ही उम्मीदवार को।
ठाकुर गुलाब सिंह इससे पहले 2007 का विधान सभा चुनाव जीते थे लेकिन वह तब 2003 में बीजेपी के टिकट पर हारने के बाद जीते थे। 2007 में हालाँकि बीजेपी की ही सरकार बनी थी लेकिन क्योकिं यह ठाकुर गुलाब सिंह की बीजेपी में नई पारी की शुरुआत थी इसलिए भी कुछ ख़ास नहीं कर पाए थे।
प्रदेश के चुनावी मूड के विपरीत मतदान
इस तरह से यानि पिछले 3 विधानसभा चुनाव में जोगिन्दर नगर जनता ने प्रदेश के मूड के विपरीत जाकर मतदान किया है, जिसका परिणाम यह निकला कि जोगिन्दर नगर का पूरा क्षेत्र ही विकास की दौड़ में पिछड़ गया है। हालाँकि राम स्वरूप शर्मा के लोकसभा में जाने से विकास की कुछ उम्मीद जगी थी, और उन्होंने काम करवाए भी लेकिन उनके गुजर जाने के बाद से ही क्षेत्र फिर से एक बार अपने एक मज़बूत प्रतिनिधि की तलाश कर रहा था। ज़िला मंडी की भी कमोबेश यही हालत है।
प्रकाश राणा की राह हुई कठिन
इस बार चूँकि प्रकाश राणा को जनता ने दूसरी बार चुना है, वे जोगिन्दर नगर क्षेत्र में विकास की कोई नयी परियोजना ला पाएँ इस बात के आसार बहुत कम हैं। ऊपर से पूरे मंडी ज़िला ने ही प्रदेश के जनादेश के ख़िलाफ़ जा कर मतदान किया है इसलिए यदि पूरा मंडी ज़िला ही प्रदेश सरकार प्रदत विकास परियोजनाओं की बाट जोहता रह जाए तो किसी को भी आश्चर्य नहीं होना चाहिए।
यानि कुल पिछले 15 सालों का लेखा-जोखा बनाया जाए तो जोगिन्दर नगर का विकास लगभग रुक सा गया है। और इसकी वजह यहाँ की जनता की प्रदेश के राजनीतिक मूड को भांपने की असफलता के तौर पर देखा जा सकता है।
2022 चुनाव के बाद मंडी ज़िले का भविष्य
ज़िला मंडी वैसे भी वर्तमान मुख्यमंत्री और आगामी विपक्ष के नेता का गृह ज़िला है इसलिए इसके साथ किसी भी तरह की उपेक्षा का व्यवहार वर्तमान की बदले की राजनीति के दौर में किसी भी सामान्य राजनीतिक घटना की तरह ही समझा जाना चाहिए। अब अगले विधानसभा चुनाव से ही कुछ आशा की जा सकती है।