आप सभी को माघ पूर्णिमा और संत रविदास जयंती की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं. माघ पूर्णिमा हिंदू कैलेंडर में एक महत्वपूर्ण दिन है. धार्मिक ग्रंथों में माघ मास के दौरान मनाए गए पवित्र स्नान की महिमा और तपस्या का वर्णन है. ऐसा माना जाता है कि माघ महीने में हर एक दिन दान कार्य करने के लिए विशेष होता है.
माघ पूर्णिमा, जिसे माघी पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है, माघ महीना का अंतिम और सबसे महत्वपूर्ण दिन है. लोग माघी पूर्णिमा पर गंगा, यमुना और सरस्वती नदी के संगम स्थल प्रयाग में पवित्र स्नान, भिक्षा, गाय और होम दान जैसे कुछ अनुष्ठान करते हैं.
माघ के दौरान लोग पूरे महीने में सुबह जल्दी गंगा या यमुना में स्नान करते हैं. पौष पूर्णिमा से शुरू होने वाला दैनिक स्नान माघ पूर्णिमा पर समाप्त होता है. ऐसा माना जाता है कि इस दौरान किए गए सभी दान कार्य आसानी से फलित होते हैं. इसलिए लोग अपनी क्षमता के अनुसार जरूरतमंदों को दान देते हैं.
यह कल्पवास का अंतिम दिन भी है. प्रयाग में गंगा नदी के तट पर लगाया एक महीने का तपस्या शिविर लगाया जाता है, जिसे कल्पवास कहा जाता है. माघ पूर्णिमा तिथि 15 फरवरी को रात 09:42 से शुरू हुई है तथा 16 फरवरी को रात 10:25 बजे तक रहेगी.
आज ही के दिन संत रविदास का जन्म हुआ था. ‘मन चंगा तो कठौती में गंगा’
संत रविदास जी के द्वारा कहा गया यह कथन सबसे ज्यादा प्रचलित है। जिसका अर्थ है कि अगर मन पवित्र है और जो अपना कार्य करते हुए, ईश्वर की भक्ति में तल्लीन रहते हैं उनके लिए उससे बढ़कर कोई तीर्थ नहीं है।