जोगिन्दरनगर : माँ सुरगनी का यह मंदिर सिकंदर धार की ऊंची चोटी और घने जंगल में स्थित है जहाँ भविष्य में एक भव्य मंदिर की योजना है वह क्षेत्र कोलंग,तरैम्बली,खुड्डी,कुठेहड़ा,भड़याड़ा,द्राहल पंचायत और लडभड़ोल तथा जोगिन्दरनगर के लोगों की आस्था का प्रतीक है. माँ के मंदिर की नीचे से गुजरने वाली टनल का जब सर्वे किया गया था तो पता चला कि इस पहाड़ी के अंदर बहुत दल -दल और पानी है जिससे सुरंग का रास्ता बदल दिया गया था.
पहाड़ी में हैं कुदरती जल स्त्रोत
माँ सुरगनी की ऊंची प्राकृतिक सौन्दर्य से भरपूर पहाड़ी पर जब नजर दौड़ाई जाती है तो विचित्र शक्तियों का अहसास होता है. इस पहाड़ी में बनावटी या कुदरती झील या तालाब भी नहीं है फिर भी इस पहाड़ी में अनेक पानी के चश्में और झरने हैं जो लगातार बहते रहते हैं. इस पहाड़ी का यह कुदरती पानी कई गांवों की प्यास बुझाता है.
इसे कहेंगे माँ का चमत्कार
किवदंती के अनुसार इस पहाड़ी के अंदर एक बहुत बड़ा तालाब है. इस बारे में आप सभी ने भी कभी अपने बुजुर्गों से जरूर सुना होगा. लेकिन इस बात का अनुमान लगाना बहुत ही मुश्किल है. यह बड़ा सवाल है कि उस समय के लोगों को कैसे इस बारे में पता चला होगा जब न कोई इंजीनियर था और न ही टेक्नोलॉजी इतनी विकसित थी. इसे माँ का ही चमत्कार कहा जा सकता है.
टनल बनाते समय चला था पता
माँ की इस पहाड़ी में पानी होने के बारे में उस समय पता चला जब मच्छयाल से खद्दर के लिए टनल का निर्माण होना था.माँ के मंदिर की नीचे से गुजरने वाली टनल का जब सर्वे किया गया तो पता चला कि इस पहाड़ी के अंदर बहुत दल दल और पानी है जिससे सुरंग का रास्ता बदल दिया गया था. ऐसा प्रतीत होता है कि हमारे बुजुर्गों की जानकारी बिलकुल सही थी.
प्राकृतिक सौन्दर्य से भरपूर है यह पहाड़ी
इस पहाड़ी में प्राकृतिक सौन्दर्य अपनी छटा बिखेरता हुआ प्रतीत होता है. यहाँ घने जंगल हैं जिससे शांत वातावरण का अहसास होता है तथा यहाँ बुरांश,बान, काफल और तेजपत्ता और गूगल धूप अपनी सुगंध बिखेरता प्रतीत होता है.
मंदिर तक नहीं है सड़क
माँ का मंदिर अभी भी सड़क सुविधा से वंचित है. अभी भी तरैम्बली पंचायत के डुघ गाँव तक सड़क सुविधा है. उसके आगे मंदिर तक मंदिर तक पैदल पगडंडी वाला रास्ता है. स्थानीय विधायक प्रकाश राणा ने मंदिर तक सड़क बनाने की बात कही थी. लेकिन मंदिर कमेटी बनाने की रफ्तार अभी भी सुस्त है.
लोगों को जानकारी पहुँचाना है उदेश्य
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“जय माँ सुरगनी”