जोगिन्दरनगर : जोगिन्दरनगर से करीब 35 किलोमीटर दूर एह्जू-बसाही सड़क में खजूर और नगौण गाँव के साथ लगती सिकन्दरधार की सुंदर पहाड़ी में स्थित है माँ भभौरी का प्राचीन मंदिर. चारों ओर से घिरे काफल, बुरांस व बान के घने जंगल माँ के मंदिर की शोभा को बढ़ाते हैं. यहाँ घने जंगल में मोर की मीठी गूँज से वातावरण भक्तिमय हो जाता है. मंदिर कमेटी के प्रधान बृज मोहन ठाकुर ने jogindernagar.com से हुई बातचीत के दौरान बताया कि सन 1905 में आए विनाशकारी भूकम्प में यह मंदिर तहस -नहस हो गया था. माँ भभौरी को भरमौरी के नाम से भी जाना जाता है क्योंकि किवदंती के अनुसार माँ भभौरी भरमौर से यहाँ इस सुंदर पहाड़ी में आकर विराजमान हुई थी.
भरमौरी माँ के नाम से भी है प्रसिद्ध
किवदंती के अनुसार माँ भभौरी भरमौर से यहाँ आई थी तब माँ का नाम भरमौरी के नाम से प्रसिद्ध था लेकिन धीरे -धीरे यह नाम बदलकर अब भभौरी के नाम से विख्यात है. लडभड़ोल के नगोण गाँव और खजूर गाँव के साथ लगती सुंदर पहाड़ी और इसकी छटा को देखकर माँ यहाँ विराजमान हुई थीं. तभी से ही माँ स्थानीय लोगों की आराध्य देवी के रूप में पूजी जाती है और माँ सभी भक्तों की रक्षा करती हैं.
सिकंदर ने की थी स्थापना
किवदंती के अनुसार इस मंदिर की स्थापना सिकन्दर ने की थी तथा यहाँ उसका राजमहल हुआ करता था जिसके अवशेष आज भी यहाँ देखे जा सकते हैं.
भूकम्प से तहस -नहस हुआ था मंदिर
माँ भभौरी का यह मंदिर 1905 में आये विनाशकारी भूकम्प में तहस- नहस हुआ था. उस समय कांगड़ा में भयानक तबाही हुई थी. उसके बाद स्थानीय लोगों के सहयोग से मंदिर कमेटी का निर्माण किया गया और मंदिर के जीर्णोद्धार के लिए प्रयास किए गए. कमेटी और स्थानीय लोगों के सहयोग से इस मंदिर का निर्माण दोबारा हुआ.
टनल का कार्य हुआ था कैंसल
जानकारी के अनुसार जब ऊहल तृतीय चरण परियोजना का टनल चुल्ला तक बनना था तो इस पहाड़ी के नीचे एक बड़े तालाब का पता चला था जिसकी वजह से यहाँ इस पहाड़ी से टनल का कार्य कैंसल हुआ था.
आषाढ़ में लगते हैं मेले
माँ भभौरी के प्रांगण में आषाढ़ में प्रथम प्रविष्टे से लेकर तीन प्रविष्टे तक माँ के तीन दिवसीय मेलों का आयोजन होता है जिसमें स्थानीय और दूसरे गाँवों के लोग बढ़चढ़ कर भाग लेते हैं. भजन कीर्तन के बाद भक्त यहाँ प्रसाद भी ग्रहण करते हैं.
पिकनिक के लिए है अच्छा स्थान
यह स्थान पिकनिक के लिए सर्वोत्तम है तथा यहाँ से धौलाधार की पहाडियों का सुंदर नजारा देखने लायक होता है. मंदिर की इस पहाड़ी में जब बर्फ गिरती है तो यहाँ का प्राकृतिक सौन्दर्य माँ के मंदिर को चार चाँद लगा देता है.
मंदिर विकास के लिए प्रयासरत है कमेटी
माँ भभौरी कमेटी के प्रधान बृज मोहन ठाकुर का कहना है कि मंदिर के विकास के लिए कमेटी दिन रात प्रयासरत है. कमेटी के सहयोग से मंदिर में 5 सराय, 1 रसोईघर,3 बाथरूम,2 टायलट और एक ऑफिस का निर्माण किया गया है. मंदिर में महात्मा लाल गिरी रहते हैं . मंडी और कांगड़ा के लोगों की माँ भभौरी आराध्य देवी हैं.
एक नए कमरे का हो रहा निर्माण
जानकारी के अनुसार मंदिर में बने रसोईघर के ऊपर एक नए कमरे का निर्माण किया जा रहा है. लेंटर का कार्य 19 फरवरी को सम्पन्न हुआ. कमेटी के प्रधान बृजमोहन ने बताया कि हाल ही में विधायक प्रकाश राणा ने मंदिर का दौरा किया था और उन्होंनें मंदिर के विकास के लिए 1 लाख रुपए की राशि ज़ारी की थी.
मंदिर तक है सड़क सुविधा
वर्तमान में माँ भभौरी मंदिर कच्ची सड़क सुविधा से जुड़ चुका है. यह सड़क छोटे वाहनों के लिए है तथा गाहरा नामक स्थान से लिंक जाता है और सड़क की कुल लम्बाई पौने पांच किलोमीटर है.
यह है कमेटी
प्रधान : बृज मोहन ठाकुर
उपप्रधान : पूर्ण चंद
कोषाध्यक्ष: प्रकाश चंद
वरिष्ठ सचिव : कश्मीर सिंह
सचिव : पंडित विश्वनाथ
जय माँ भभौरी