हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय द्वारा 5 अगस्त को लैंड सीलिंग एक्ट की धारा 163(ए) को निरस्त करने और किसानों के कब्जे वाली भूमि खाली करवाने के आदेश से प्रदेश के हजारों प्रभावित परिवारों में भय का माहौल है।

अदालत ने सभी कब्जे हटाने की अंतिम तिथि 28 फरवरी 2026 तय की है। इसे किसानों और गरीबों के हितों के विरुद्ध बताते हुए हिमाचल किसान सभा ने इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने की तैयारी शुरू कर दी है।
इसके लिए गोपालपुर और धर्मपुर सहित विभिन्न क्षेत्रों से सहयोग राशि एकत्र की जा रही है। इसी संदर्भ में किसान सभा की बैठक सरकाघाट में पूर्व जिला पार्षद एवं संगठन प्रभारी भूपेंद्र सिंह की अध्यक्षता में हुई।
बैठक में किसान सभा के जिला अध्यक्ष कुशाल भारद्धाज विशेष रूप से उपस्थित रहे। उन्होंने कहा कि किसान सभा वर्षों से हर परिवार को पांच बीघा जमीन देने और किसानों के कब्जे वाली भूमि उनके नाम नियमित करने की मांग उठा रही है।
इसी मुद्दे पर इस साल 20 मार्च को विधानसभा और 29 जुलाई को सचिवालय शिमला में हजारों किसानों ने प्रदर्शन किया था।
मुख्यमंत्री ने इस पर नीति बनाने का आश्वासन दिया था, लेकिन अदालत के हालिया फैसले ने स्थिति और गंभीर बना दी है। भूपेंद्र सिंह ने कहा कि किसान सभा किसी भी किसान का मकान जबरन गिराने का विरोध करेगी।
यदि प्रशासन या सरकार ने दबाव बनाया तो प्रभावितों और जनता के सहयोग से इसका डटकर प्रतिरोध किया जाएगा। उन्होंने बताया कि किसान सभा राष्ट्रीय राजमार्ग-003 के निर्माण में हो रही खामियों और प्रभावित परिवारों की समस्याओं को भी हाईकोर्ट में ले जाने की तैयारी कर रही है।