प्रदेश सरकार द्वारा स्वास्थ्य सुविधाओं के संबंध में बड़े-बड़े दावे तो किए जा रहे हैं लेकिन जोगेंद्रनगर अस्पताल में बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध नहीं होने से मरीजों को असुविधा का सामना करना पड़ रहा है। जोगेंद्रनगर के सिविल अस्पताल के भवन पर सरकार द्वारा 6 करोड़ की राशि व्यय की गई है ताकि रोगियों को यहां बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध करवाई जा सके। पिछले करीब एक वर्ष से यहां रेडियोलॉजिस्ट का पद नहीं भरे जाने के कारण अस्पताल की अल्ट्रासाउंड मशीन धूल फांक रही है। मरीजों को अल्ट्रासाउंड के लिए निजी अस्पतालों में लुटना पड़ रहा है।
जोगेंद्रनगर और द्रंग हलके की सवा लाख के करीब जनसंख्या इसी अस्पताल के ऊपर निर्भर है। दोनों हलकों के लोगों को उपचार इसी अस्पताल में करवाना पड़ता है लेकिन यहां एक वर्ष का लंबा बीत जाने के बाद भी अल्ट्रासाउंड का विशेषज्ञ की नियुक्ति नहीं हो पा रही है। अस्पताल में लगाई गई लाखों की मशीन भी जंग खा रही है। सुविधा नहीं होने से सबसे ज्यादा परेशानी का सामना उन मरीजों को करना पड़ रहा है जो आर्थिक रूप से कमजोर हैं लेकिन स्वास्थ्य विभाग कोई सुध नहीं ले पा रहा है।