मंडी : सात दिनों तक देवी देवताओं के आने से स्वर्ग सी बनी छोटी काशी अब एक बार फिर से सूनी हो गई है। दिन भर गूंजती रही देवध्वनियों की आवाजें अब सुनाई नहीं देंगी। चौहाटे की जातर के बाद देवी देवता छोटी काशी को अलविदा कहकर अपने धाम को लौट गए हैं। शुक्रवार को एक वर्ष बाद चौहटा में अद्भुत नजारा बना और देवी देवताओं से पूरा शहर भर गया।
हजारों लोग देवी-देवताओं के आशीर्वाद लेने को पहुंचे। ऐसा लगा जैसा चौहाटा बाजार से लेकर उपायुक्त कार्यालय मार्ग और सेरी बाजार की तरफ स्वर्ग का दरबार लगा हो। इस सुंदर और अलौकिक नजारे के अंतर राष्ट्रीय शिवरात्रि महोत्सव के अंतिम दिन हजारों लोग गवाह बने।
जो किसी कारणवश शिवरात्रि महोत्सव के दौरान देवी-देवताओं के दर्शन नहीं कर सकें, उन्होंने चौहाटा की जातर में आकर देवी-देवताओं को विदाई दी। वहीं देवताओं के लौटने के साथ ही उनके संग आए हजारों देवलुओं ने भी अब मंडी से विदाई ले ली है।
शुक्रवार को चौहाटा से लेकर उपायुक्त कार्यालय मार्ग पर पीपल के पेड़ तक देवी देवता 1 बजे तक विराजे रहे। इसके बाद अपने परिजनों की तरह देवी देवता भी एक दूसरे से मिलकर एक साल के लिए जुदा हुए।
एक तरफ जहां देवलु देवी-देवताओं के संग नृत्य करते हुए मंडी से लौटे तो वहीं दूसरी तरफ छोटी काशी के लोगों के चेहरे पर उदासी देखने को मिल। अपने अपने आराध्य देवी देवताओं को अलविदा कहते हुए लोग भावुक भी हो उठे।
देवताओं के जाने से मंडी नगर में एक उदासी का माहौल बन गया है। जनपद के देवता साल में एक बार शिवरात्रि के दौरान मंडी वासियों के मेहमान बनकर आते हैं। ढोल नगाड़ों, करनाल, शहनाई और रणसिंगों के समवेत स्वरों से मंडी शहर एक सप्ताह तक गुंजायमान रहा।
अब देवताओं के अपने गांव लौटते ही सब सूना सूना सा लगने लगता है। अब अगले वर्ष फिर से आने का वायदे देवी देवता मंडी के लोगों से कर गए हैं। वहीं इससे पहले इससे पूर्व मेला कमेटी के अध्यक्ष अपूर्व देवगन की ओर से राज राजेश्वरी के मंदिर में पूजा अर्चना की गई। चौहाटा बाजार में मौजूद देवी देवताओं को चादरें और पूजा सामग्री भेंट की गई।
आदिब्रह्मा ने खुशहाली और समृद्धि के लिए बांधी कार
मंडी शहर की खुशहाली और समृद्धि के लिए देव आदिब्रह्मा ने कार बांधी। देवता के गूर ने देवता के रथ के साथ शहर की परिक्रमा करते हुए नगर वासियों की सुख समृद्धि के लिए दुआ की। इस दौरान देवता के दुवलुओं ने अभिमंत्रित जौ के आटे का गुलाल की तरह हवा में उछाल कर बुरी आत्माओं को दूर रखने की कार बांधी। इसके बाद सेरी मंच पर दिव्य खेल भी हुई। इस पूरे देव कार्य को देखने के लिए भी सैंकड़ों लोग एकत्रित हुए।
नाचते गाते और रोते ली देवलुओं ने विदाई
अंतरराष्ट्रीय शिवरात्रि महोत्सव में आए हजारों देवलु चौहाटे की जातर के बाद नाचते गाते और आंखों में आंसु भरते हुए विदा हुए हैं। चौहटे की जातर के बाद अपने धाम लौटते देवी देवताओं और देवुलओं ने खूब नृत्य किया। सेरी मंच पर आदी ब्रहमा के देपलुओं ने तो डेढ़ घंटे तक काफी लंबी नाटी भी डाली। जिसमें स्थानीय लोगों ने भी शिरकत की। जो कि देखते ही बनती थी। देवलुओं के साथ ही मंडी के लोग भी देवी देवताओं के जाता देखकर रूआसें देखे गए।